आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ से प्राप्त जानकारी अनुसार मेडिकल कॉलेज परिसर में रहवासी भवन बनाने के लिए ऑनलाइन निविदा का प्रकाशन हुआ था, जिसमें अलग-अलग कंपनियों ने अपनी निविदाएं जमा कराईं थीं। शासन के नियमानुसार व केंद्रीय सतर्कता आयोग की गाइडलाइन के अनुसार तकनीकी पात्र कंपनी की बिड आगे नहीं ली जाती है। उसे अपात्र मानकर आगे नहीं भेजा जाता। तकनीकी बिड में अपात्र पाए गए कम्पनी की फाइनेंसियल बिड नहीं खोली जाती। इस मामले में पीआईयू के प्रोजेक्ट डायरेक्टर विजय सिंह पर आरोप लगे। उन पर आरोप है कि संपूर्ण निविदा प्रक्रिया की जानकारी होते हुए भी उन्होंने कंपनी के लिए नियम नजरअंदाज किए। तकनीकी बोली में अपात्र फर्म को गलत तरीके से फायदा पहुंचाने की नीयत से फाइनेंसियल बिड में लाया गया। कम राशि होने से उसे टेंडर मिल गया, जो गलत है।
बयान के बाद मामले की जांच इस मामले में शिकायत होने के बाद शासन स्तर पर जांच की गई और पूरी निविदा प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया। उसके बाद इस पूरी प्रक्रिया में भाग लेने वाली एक कंपनी ने आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ भोपाल मुख्यालय को इस संबंध में एक शिकायत भेजी। शिकायत की जांच के बाद प्रथमदृष्टया मामला सही पाए जाने पर शिकायत दर्ज कर ली गई। अब इस मामले में पीआईयू से जुड़े अफसरों से जानकारी मांगी गई है। इस निविदा से जुड़े हुए सभी दस्तावेज सहित उनका पक्ष जाना गया है। उनके बयान के बाद मामले की जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।