Rahat Indori: कभी छोटी-सी दुकान पर सुनाते थे शायरी, अब दुनिया कहती है शायरी के ‘शेर’
राहत इंदौरी ने दोनों ही मजहबों को प्रेम, सदभाव का संदेश दिया है। दोनों ही मजहबों में उनके संदेशों को लेग सैल्यूट करते हैं। पिछले दिनों ही उन्होंने मुस्लिम होने के साथ ही उन्होंने अपनी पोती का नाम मीरा रखा है और पिछली कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर वह राधा बनकर अपने स्कूल गई थी। डा. राहत इंदौरी ने यह बात ट्वीट के जरिए दुनिया को बताई थी। वे कहते थे कि मीरा कृष्ण भक्ति का संदेश देता है, जो प्रेम और स्नेह का प्रतीक तो है ही, यह नाम कृष्ण भक्ति की पराकाष्ठा भी माना जाता है। इस मौके पर उन्होंने अपनी पोती की तस्वीर शेयर की थी। कहा था कि ये हमारी पोती है, मीरा इनका नाम है। कल अपने स्कूल में राधा बनकर गई थीं। डा. राहत का यह संदेश मजहबों के तनाव के बीच सुखद अहसास देता है।
ट्वीटर पर लोगों ने किया सलाम :-:
यह भी है खूब
इससे कुछ समय पहले ही डॉ. राहत ने हाशिम रजा जलालपुरी को टैग करते हुए जन्माष्टमी पर लिखा है…
मीरा फरमाती हैं…
ऐ सखी! भाता नहीं दूजे का हुस्न
जब से देखा नन्द के बेटे का हुस्न
सांवरी सूरत है इतनी दिल रुबा
उसकी खातिर छोड़ दी मैंने हया
ऐ सखी! अब दिल में मेरे बस गया
नन्द का बांका, सजीला, लाडला
इन फिल्मों के गीत भी लिखे :-:
राहत इंदौरी ने बालीवुड फिल्म मिशन कश्मीर, याराना, मिनाक्षी, मुन्ना भाई एमबीबीएस, इश्क, नाराज, मर्डर, खुद्दार सहित कई फिल्मों के गीत लिखे हैं।
ये शेर आज भी मौजूं है
मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना
खून से मेरी पेशानी पर हिंदुस्तान लिख देना
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है