दूसरी ओर इस बैठक में सामान्य मुद्दों के साथ ही शहर के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव जिसमें शहर विस्तार होना है वह भी लाया जा सकता है। दरअसल इंदौर मास्टर प्लान की समयावधि अगले साल समाप्त हो रही है। 2008 में बने इस मास्टर प्लान में तत्कालीन शहरी सीमा के अतिरिक्त 90 गांवों को शामिल किया गया था। 2014 में उसमें से 29 गांवों को नगर सीमा में उचित विकास हेतु शामिल कर लिया गया था। बचे हुए ६१ गांवों को शहरी सीमा से दूर रखा गया था। शहर विस्तार को लेकर शुरू हुई कानूनी पेचिदगियां पांच साल बाद भी जारी हैं।
अब भाजपा शासित निगम की वर्तमान परिषद इंदौर का विस्तार करते हुए पूरे गांवों को शामिल करने की तैयारी कर रही है। हालांकि अभी तक इस संबंध में कोई प्रस्ताव अफसरों या एमआइसी की ओर से नहीं भेजा गया है। लेकिन बताया जा रहा है कि इस प्रस्ताव को परिषद की बैठक में ही सभापति की अनुमति से लाने की तैयारी की जा रही है। ताकि भाजपा शासनकाल के दौरान शहर विस्तार का जो निर्णय लिया गया था। उसे सही साबित करवाया जा सके। साथ ही निगम के वार्ड परिसीमन और आरक्षण में भी भाजपा को फायदा मिल सके। हालांकि निगम इस प्रस्ताव को यदि पास भी करता है तो ये तब तक लागू नहीं होगा, जब तक राज्य सरकार इसे मंजूरी नहीं दे दे।
अब भाजपा शासित निगम की वर्तमान परिषद इंदौर का विस्तार करते हुए पूरे गांवों को शामिल करने की तैयारी कर रही है। हालांकि अभी तक इस संबंध में कोई प्रस्ताव अफसरों या एमआइसी की ओर से नहीं भेजा गया है। लेकिन बताया जा रहा है कि इस प्रस्ताव को परिषद की बैठक में ही सभापति की अनुमति से लाने की तैयारी की जा रही है। ताकि भाजपा शासनकाल के दौरान शहर विस्तार का जो निर्णय लिया गया था। उसे सही साबित करवाया जा सके। साथ ही निगम के वार्ड परिसीमन और आरक्षण में भी भाजपा को फायदा मिल सके। हालांकि निगम इस प्रस्ताव को यदि पास भी करता है तो ये तब तक लागू नहीं होगा, जब तक राज्य सरकार इसे मंजूरी नहीं दे दे।
दो गांवों का प्रस्ताव अटका इसके पहले शहर से लगे दो गांव बांक और नैनोद को शहर में शामिल करने का प्रस्ताव बीते साल कलेक्टर ने राज्य सरकार को भेजा था। लेकिन ये प्रस्ताव अभी भी अटका हुआ है। इस पर आज तक कोई फैसला नहीं हो पाया है।