दोपहर करीब बारह बजे एफबीआइ टीम के तीन सदस्य कार में सवार होकर पुलिस कमिश्रर हरिनारायचारी मिश्र के कार्यालय पहुंचे थे। टीम के सदस्य काले कोट पेंट पहने थे। उन्होंने चेहरे पर मास्क भी पहन रखा था। दिल्ली से आई टीम के सदस्यों को क्राइम ब्रांच अफसर अपने साथ सीपी कार्यालय में लेकर पहुंचे। यहां एफबीआई और पुलिस कमिश्रर के बीच करीब एक घंटे चर्चा चली। टीम के जाने के बाद पुलिस कमिश्नर मिश्र ने बताया, पिछले वर्ष शिकायत आई थी, कुछ लोगों के द्वारा बड़े पैमाने पर ठगी की जा रही है। जांच करने पर पता चला की एक ऐसा गिरोह सक्रिय है जो दूर देश में बैठे लोगों को अपना निशाना बना रहे है। इनमें बुजुर्गो की संख्या सबसे अधिक है। गिरोह को टीम ने सफलतापूर्वक पकड़ लिया। तब पता चला की गिरोह दूसरे देशों के सोशल सिक्युरिटी नंबर के आधार पर अमरीकी लोगों से अमरीकी एक्सेंट और साफ्टवेयर की मदद से बात करता। वहां के सिटीजन को भरोसा दिलाते थे की वे उनके देश के स्थानीय कॉलर है। ठगी के लिए गिरोह कॉल स्पूफिंग का भी सहारा लेता। जिन लोगों को वे टारगेट करते उनके मोबाइल पर वहीं का स्थानीय नंबर दिखता था। लंबी जांच मेंं पता चला की गिरोह से सबसे अधिक यूएस के लोग थे। एफबीआइ लीगल टीम से इस संबंध में चर्चा हुई तो उन्होंने मध्यप्रदेश पुलिस को बधाई दी। बताया जा रहा है की एफबीआइ लीगल टीम ने यूएस के पीडि़तों के ठगी के संबंध में बयान लिए थे। उक्त दस्तावेज भी इंदौर पुलिस को सौंपे है।
इंवेस्टीगेशन को सांझा नहीं कर सकते मिश्र ने बताया की इस केस में खास बात यह है की किसी भी अमरीकी ने अब तक कोई शिकायत नहीं की थी। प्रो एक्टिव पुलिसिंग के मदद से गिरोह को पकडऩे में सफलता मिली। वहीं एफबीआइ टीम ने बताया कि उनके द्वारा यूएस के विभिन्न प्रदेशों में रहने वाले पीडि़तों से बात की गई। एफबीआइ ने इस संबंध में जानकारी दी है। वहां की टीम ने केस के संबंध में कुछ बातें बताई है जिसे सांझा नहीं कर सकते। वह इंवेस्टीगेशन का हिस्सा है। अपराधी को पकडऩा पर्याप्त नहीं होता उसे सजा दिलाना मुख्य कार्य है।
जिनका तकनीकी ज्ञान बेहतर नहीं उनको किया टारगेट बैठक में एफबीआइ टीम ने बताया कि यूएस के कई प्रदेशों के दर्जनभर लोगों के साथ गिरोह ने ठगी की है। गिरोह सोशल सिक्युरिटी नंबर के आधार पर वहां के लोगों के सेवानिवृत्त के बाद मिली राशि उनके बचत खाते से ऑनलाइन निकाल लेता था। चर्चा में पता चला कि वहां बहुत सारे बुजुर्ग अकेले रहते है। उनका तकनीकी ज्ञान बेहतर नहीं है।
गौरतलब है कि अमरीकियों को ठगने वाले कॉल सेंटर को सबसे पहले साइबर सेल की टीम ने पकड़ा था। एसपी जितेंद्रसिंह को इस पर एफबीआइ ने सम्मानित भी किया था। एफबीआइ ने अमरीकियों के बयान उपलब्ध कराए और मामला विचाराधीन है। एक मामला साइबर सेल ने भोपाल में भी पकड़ा था। वहां भी अमरीकियों के बयान हुए, जिसके बाद दिसंंबर 2020 में आरोपियों को छह-छह साल की सजा हुई थी।