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देश की पहली ट्रांसजेंडर जज जोयिता मंडल ने कहा लडक़े और लड़कियां मिलकर फब्तियां कसते थ

locationइंदौरPublished: Jan 13, 2018 09:51:06 pm

Submitted by:

amit mandloi

जो लोग पहले बात नहीं करते थे, वो आज मुझसे सलाह लेते हैं, मुझे भी गुड्डे-गुडिय़ा के साथ खेलना पंसद था।

first transgender juj joyita mondal
– शहर में पहली बार आयोजित ‘टेड एक्स’ में दस स्पीकर्स ने शेयर की अपनी लाइफ जर्नी

इंदौर. एक बार एक व्यक्ति मुझे मिला। मुझे देखकर मेरा मजाक बनाया। मैंने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया, समय निकल गया। जब उसे पता चला कि मैं जज हूं। उसे इस बात पर यकीन ही नहीं हुआ। ये एक दिन की कहानी नहीं है, मैंने कई बार इस तरह की चीजों से सामना होता है। मैं इन लोगों से नाराज नहीं होती है। मैंने जिस तरह खुद को बदला उसी तरह में बाकी लोगों के लिए भी काम करती रहूंगी। यकीन मानिए हमारे लिए भी अच्छे दिन आने वाले हैं। ये बात देश की पहली ट्रांसजेंडर जज जोयिता मंडल ने प्रेस्टिज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट आयोजित टेड एक्स प्रोग्राम एक स्पीकर के रूप में कही। अपनी कहानी बताते हुए वे कहती हैं, मुझे गुड्डे-गुडिय़ा के साथ खेलना पंसद था। मां की साड़ी पहन सजना संवरना अच्छा लगता था, बचपन में तो ठीक था। जब १५-१६ साल की हुई तो दुर्गा पूजा में संज संवर कर गई तो मां ने बहुत पिटाई की थी। वो मां थी उसका दोष नहीं था। मां मुझे फुटबॉल खेलने के लिए कहती थी। मैं को- एजुकेशन में पढ़ती थी। लडक़े और लड़कियां मिलकर फब्तियां कसते थे। इन सबसे परेशान होकर घर छोड़ दिया। कॉलेज जाना भी बंद कर दिया। इसके बाद नॉर्थ बंगाल के दीनाजपुर पहुंच गई। वहां कई रातें फुटपाथ पर गुजारी। उसके बाद एक सुबह तय किया, अब और नहीं अकेले कुछ नहीं किया जा सकता। दीनाजपुर के किन्नरों से मिली और संगठन तैयार किया नया रोशनी फॉर दीनाजुपर। पहले गर्वनमेंट रेस्पांंस नहीं देती थी। बाद में २०१४ में हमें आदर्श नागरिक का अधिकार दिया। उस दिन जीत मिली। उसके बाद २०१६ में ओल्ड एज होम बनाया, रेड लाइट एरिया में काम करने महिलाओं की वोटर आईडी और बैंक अकाउंट खुलवाए। मुझे सोशल वर्कर के रूप में पहचान मिली। २०१७ में मुझे सोशल लोक अदालत का जज बनाया। इसमें तीन लोग शामिल होते हैं। जज, वकील और सोशल वर्कर। पहले कोई मेरी नहीं सुनता था और आज मैं लोगों की समस्या सुन रही हूं। समय बदलता है और लोग भी जो लोग मुझसे बात तक नहीं करते थे। वो आज मेरी सलाह लेते हैं। समाज से यही कहूंगी हमें अवसर चाहिए क्षमताएं बहुत है हमारे पास।
लोगों की परेशानियों को समझ तैयार करता हूं एप्लीकेशंस
टेड एक्स में मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में शामिल हुए कुनाल चंदीरमानी सिर्फ १४ साल के है, लेकिन अपने दो स्टार्ट अप चला रहे हैं। भोपाल के कुनाल में बताया, मैं लोगों की प्रॉब्लम्स ऑब्जर्व करता हूं और उसके हिसाब से एप्लीकेशन डेवलप करता हूं। वे बताते है भोपाल में एक मार्केट है न्यू मार्केट। वहां लोगों के पास स्टॉक बच जाता है, लेकिन वो ऑनलाइन बिजनेस नहीं करते। इसकी दो वजह थी कि पहला कोस्टली और दूसरा टफ टेक्नोलॉजी। मैंने इसे समझा और एक वेबसाइट तैयार की जिसमें रजिस्टर करने के बाद आसानी से वेबसाइट क्रिएट जाती है। मेरा मानना है कि दिमाग सबके पास है, लेकिन लोगों को राइट डायरेक्शन नहीं पता है। अपनी सपनों को पहचान कर इस तरफ काम करना शुरू कर दें तो दुनिया को आसानी से लीड कर सकते हैं।
टाइम मैनेजमेंट ही है सक्सेस की

२१ साल के राज शमानी यूएन एम्बेसेडर है। अपने सेशन में उन्होंने बताया, एक दिन में ८६ हजार ४०० सेकंड होते हैं। ये इस बात पर निर्भर करता है, उस समय का यूज आप किस तरह से कर रहे हैं। किल टाइम और लेट इट भी गो, हो जाएगी जैसी बातें जब तक यंगस्टर्स करते रहेंगे। सब सोचते है, शुरूआत कैसे की जाएं। सोचना ये चाहिए कि अपनी लाइफ जर्नी को एंड किस तरह करना चाहिए। आप खुद को कहां देखना चाहते हैं। अगर आप ये समझ जाते हंै, ऊंचाइयों को छूना तय है। इसके बाद दूसरा फेक्टर है, हम डिग्री पर ज्यादा डिपेंड है, नॉलेज पर नहीं। जो चीज अपने अनुभवों से सीखी जाती है, वो कोई कॉलेज नहीं सीखा सकता।
इस सेशन में मेटल आर्टिस्ट देवल वर्मा, ब्लॉगर कपिल जाधवानी, सबसे ज्यादा स्पीच डिलिवर करने का रिकॉर्ड बना चुके प्रतीक उत्पल, मेंटल हेल्थ काउंसलर प्राची अग्रवाल, जर्नलिस्ट बिलाल जैदी, यू-ट्यूब एंकर फ्रिशिया ने भी अपने लाइफ एक्सपीरियंस शेयर किए।
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