दो साल में तीसरी बार शुरू हुआ चंपा बावड़ी की सफाई का काम
नगर निगम और पुरातत्व विभाग ने किया था काम

इंदौर. कुएं-बावड़ी सफाई के नाम पर नगर निगम किस तरह काम कर रहा है, इसका उदाहरण लालबाग पैलेस की चंपा बावड़ी है। इसे दो साल में तीसरी बार साफ करवाया जा रहा है। नगर निगम और पुरातत्व विभाग पहले इसे साफ करवा चुके हैं।
निगम ने बीते साल गर्मी के दौरान केंद्र सरकार की योजना के तहत जलस्रोतों का शुद्धिकरण शुरू किया था। शहर के 500 कुएं-बावडिय़ों की सफाई कर पानी दोबारा उपयोग योग्य बनाने की व्यवस्था की गई थी। चंपा बावड़ी की सफाई पर हजारों रुपए खर्च किए थे। इसके पहले इसकी सफाई और मरम्मत पुरातत्व विभाग ने करवाई थी। तब इसके पत्थरों के जोड़ में आ रही दरारें भरने और बावड़ी को संरक्षित करने का काम भी किया था। पुरातत्व विभाग ने भी इसकी सफाई के लिए लाख रुपए का बजट रखा था, लेकिन फिर दोनों ने इसके रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया। इससे बावड़ी में फिर आसपास के पेड़ों के पत्ते और धूल जमा हो गई। इसे ही निगम साफ करवा रहा है।
दो मंजिला बावड़ी में रानियां करती थीं जलक्रीड़ा
लालबाग पैलेस के पुराने आरटीओ के पास वाले हिस्से में मौजूद यह बावड़ी पानी का एकमात्र स्रोत नहीं, बल्कि दो मंजिला पूरा छोटा महल है। इसके अंदर के हिस्से में बावड़ी के नजदीक रानियों का झूलाघर और जलक्रीड़ा के लिए जगह भी है। पुरातात्विक महत्व का ये स्थान बेहाल होने के साथ बंद है। पुरातत्व विभाग के अफसर इस पर ध्यान ही नहीं देते।
पांच करोड़ मिले केंद्र सरकार से
शहर के परंपरागत जलस्रोतों की सफाई के लिए इस साल भी केंद्र सरकार से नगर निगम को पांच करोड़ रुपए की मदद मिली है। इससे निगम सफाई करवा रहा है।
बरसात में आई याद
कुएं-बावडिय़ों की सफाई गर्मी में किया जाता है, लेकिन इस साल इस ओर ध्यान ही नहीं दिया गया। अधिकारी चुनाव में व्यस्त थे। अब बरसात शुरू होने पर इसकी सफाई की जा रही है।
हम लगातार मुहिम चलाकर शहर के परंपरागत जलस्रोतों को साफ कर रहे हैं। जो पहले साफ किए गए थे, उनमें भी यदि कीचड़ या गंदगी है तो साफ करेंगे।
बलराम वर्मा, जलकार्य समिति प्रभारी
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