पूर्व नायब सूबेदार 72 साल की उम्र में एक बिल्डर से अपनी लड़ाई हार रहे हैं। परेशान पूर्व नायब सूबेदार ने कलेक्टर से इच्छामृत्यु की मांग की है।
सुधीर पंडित @ इंदौर। उनके भाल पर भारत के लिए तीन युद्ध लड़ने का गौरव चमकता था। वे जहां भी जाते लोग उनका अभिवादन करते । हम यहां बात कर रहे हैं भारत के लिए दो बार पाकिस्तान और एक बार चीन से मुकाबला करने वाले पूर्व नायब सूबेदार कन्हैयालाल मालवीय की। जो 72 साल की उम्र में एक बिल्डर से अपनी लड़ाई हार रहे हैं। परेशान पूर्व नायब सूबेदार ने कलेक्टर से इच्छामृत्यु की मांग की है। वहीं बिल्डर का कहना है कि नोट बंदी के कारण शुरू हुई परेशानी के चलते वह बकाया पैसे चुका नहीं पा रहा है।
कलेक्ट्रेड ऑफिस में उस समय बड़े सरकारी अधिकारी भी चौंक गए जब 72 साल के एक बुजुर्ग ने जनसुवाई में अपना परिचय दिया। अधिकारियों के सामने इस बुजुर्ग ने जब यह बताया कि वे पूर्व नायब सूबेदार कन्हैयालाल मालवीय हैं और हिंदुस्तान के लिए 3 युद्ध लड़ चुके हैं तो अफसर भी अपनी कुर्सी से खड़े हो गए। कन्हैयालाल को बैठाया गया। अधिकारियों ने पूछा कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि उन्हें जनसुवाई के जरिए न्याय के दरवाजे पर दस्तक देनी पड़ी।
इस सवाल पर पूर्व सूबेदार की आंखे छलक आईं। पूर्व सूबेदार ने अपने दर्द की दास्तां अधिकारियों के सामने कुछ यूं बयां की। यूं तो देश के लिए 3 युद्ध लड़ चुका हूं। युद्ध के मैदान में दुश्मनों को धूल चटाई लेकिन अब एक बिल्डर से हार गया हूं। 72 साल की उम्र में अपने ही पैसे के लिए दर-दर ठोकरें खाने पर मजबूर हूं। अब आप या तो मुझे मेरे पैसे दिलवा दीजिए या इच्छा मृत्यु का अधिकार ही दे दीजिए।
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मामला कुछ इस प्रकार है पूर्व नायब सूबेदार कन्हैयालाल मालवीय निवासी ग्राम जाख्या, तहसील सांवेर ने 26 नवंबर 2014 को व्यंकटेश इंडस्ट्रीयल क्रिएशन प्रायवेट लिमिटेड के डायरेक्टर योगेश पिता रोशनलाल जैन निवासी 10 बी संगम नगर से धरमपुरी स्थित 5.24 एकड़ कृषि भूमि का सौदा 2 करोड़ 96 लाख 11 हजार रुपए में सौदा किया था। अनुबंध के अनुसार 50 प्रतिशत राशि तो दी गई पर मार्च 2016 में बाकी राशि देना तय किया था। बकाया राशी के लिए जब उन्होंने बिल्डर से संपर्क किया तो उन्हें धमकाया जाने लगा। मार्च 2016 से फरवरी 2017 कुल 10 माह हो गए लेकिन बकाया पैसे का कोई आसरा नहीं दिख रहा।
वे बिल्डर से बात करने की कोशिश करते तो बिल्डर टाल देता। उसके साथ काम करने वाले लोग धमकाते। आखिर थक हारकर बुजुर्ग पूर्व नायब सूबेदार ने प्रशासन का दरवाजा खटखटाया है। कन्हैलायालाल ने जनसुनवाई में कलेक्टर से गुजारिश की – ” मैंने 24 साल देश की रक्षा में गुजारे हैं अब यदि प्रशासन मेरे संवैधानिक अधिकारों की रक्षा नहीं कर सकता तो उन्हें इच्छामृत्यु का अधिकार दे दें।” कलेक्टर ने नायब सूबेदार का दर्द सुनते ही संबंधित अधिकारी को तुरंत जांच के आदेश दिए हैं।
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वहीं दूसरी तरफ पत्रिका ने व्यंकटेश इंडस्ट्रीयल क्रिएशन प्रायवेट लिमिटेड के डायरेक्टर योगेश पिता रोशनलाल जैन से संपर्क किया तो योगेश जैन पूरी बात का गोलमोल जवाब देते नजर आए। पत्रिका से बातचीत में योगेश जैन ने स्वीकारा कि उन्होंने पूर्व नायब सूबेदार से जमीन खरीदी है और कुछ धन बकाया भी है। बकाया धन नहीं चुकाने के तथ्य पर योगेश ने अपना बचाव करते हुए कहा कि वे “नोटबंदी के कारण अभी तक पूर्व नायब सूबेदार कन्हैलाल मालवीय को बकाया रुपए नहीं दे पाए हैं। मैं भी उनका सम्मान करता हूं। चैक बाउंस होने के चलते किसी ने उन्हें बरगला दिया है। मैं हर हाल में उनका पैसा चुकाउंगा।”
वहीं दूसरी और कलेक्टर के आश्वासन और मीडिया के दखल के बाद पूर्व सूबेदार कन्हैयालाल मालवीय को उम्मीद है कि उनका बकाया पैसा वापस मिल जाएगा औऱ उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगा।