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इंदौर

बैंक के लिए वसूली करने वाली कम्पनी ने की प्रशासन से धोखाधड़ी

खुलासा होते ही पीडि़त ने आपत्ति दर्ज करवाई, एक बार केस हारने के बाद दूसरे अपर कलेक्टर की अदालत में प्रस्तुत किया बैंक वसूली प्रकरण, पहले ने किया था आवेदन निरस्त, तथ्य छिपाकर दूसरे से करवाया आदेश

इंदौरJan 04, 2019 / 10:35 am

Mohit Panchal

fraud

बैंक के लिए वसूली करने वाली कम्पनी ने की प्रशासन से धोखाधड़ी

इंदौर। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की वसूली करने वाली एक रिस्ट्रक्शन कम्पनी ने जिला प्रशासन के साथ ही कलाकारी कर दी। कुछ महीनों पहले सरफेसी एक्ट में एक मकान का कब्जा लेने के लिए आवेदन पेश किया था, लेकिन आपत्ति व गुण-दोष के आधार पर तत्कालीन अपर कलेक्टर ने निरस्त कर दिया। जैसे ही फैसला करने वाले अफसर का तबादला हुआ, दूसरी अपील करके तथ्य छिपा दिए और फैसला करवा लिया।
21 दिसंबर को अपर कलेक्टर अजय देव शर्मा की अदालत ने अंसट रिस्ट्रक्शन कम्पनी (इंडिया) लिमिटेड के आवेदन पर फैसला सुना दिया। कम्पनी ने सरफेसी एक्ट के तहत मधु सेन की 32 आशा पैलेस कॉलोनी छोटा बांगड़दा संपत्ति पर कब्जा दिलाने की मांग की थी। कम्पनी का कहना था कि सेन ने ये संपत्ति स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में गिरवी रखी थी और 3 लाख 41 हजार रुपए का लोन लेकर पैसे जमा नहीं किए।
शर्मा ने नोटिस जारी कर दिए, जिस पर कोई पेश नहीं हुआ। उस पर फैसला सुनाते हुए संपत्ति पर कब्जा देने का आदेश दे दिया। यहां तक कहा कि खाली न हो तो पुलिस की मदद भी ली जाए। वहीं, संपत्ति को नीलाम करके बैंक का पैसा जमा कराया जाए और बचा पैसा सेन को दिया जाए। जैसे ही फैसला हुआ, वैसे ही एक नया बवाल खड़ा हो गया।
ये है बवाल
फैसले के बाद सत्यनारायण जाधव नामक शख्स अपने वकील रोहित दुबे के साथ शर्मा की अदालत में पहुंचे। कहना था कि ये फैसला गलत है। जब इस मामले में एक बार फैसला हो चुका है तो दूसरी बार कैसे हो सकता है। ये सुनकर शर्मा भी चौंक गए। दुबे ने बाद में दस्तावेज पेश किए। कहना था कि ये केस पूर्व अपर कलेक्टर रुचिका चौहान की अदालत में एआरसीआईएल के नाम से लगाया गया था। इस बार कम्पनी ने अपना नाम पूरा लिखकर केस लगाया। उस समय हमने आपत्ति दर्ज कराई थी, क्योंकि संपत्ति के असल मालिक तो हम हैं। 18 जून 2008 को पंजीकृत विक्रय पत्र के माध्यम से खरीदी थी, तब से उस पर हम काबिज हैं। बकायदा उसका संपत्ति कर भी भर रहे हैं। हमने कभी बैंक लोन लिया नहीं। उसके आधार पर तत्कालीन अपर कलेक्टर चौहान ने आवेदन को निरस्त कर दिया था।
कम्पनी पर हो कार्रवाई
खुलासा होने के बाद अपर कलेक्टर शर्मा भी स्तब्ध थे। सत्यनारायण के वकील दुबे ने तुरंत एक आपत्ति दर्ज कराई। कहा गया कि बैंक और वसूली को लेकर अधिकृत की गई अंसट रिस्ट्रक्शन कम्पनी के खिलाफ धोखाधड़ी और साक्ष्य छिपाने के मामले में आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए। अदालत को अंधेरे में रखकर साक्ष्य छिपाए गए। इस पर शर्मा अब बैंक व कम्पनी दोनों को नोटिस जारी करने की तैयारी कर रही है।
बिल्डर पर हो चुकी एफआईआर
गौरतलब है कि अनिल मिश्रा निवासी रामचंद्र नगर ने आशा पैलेस कॉलोनी में मधु सेन को बेचकर कागजों पर लोन दिया दिया। बाद में वही मकान सत्यनारायण जाधव को भी रजिस्ट्री की और कब्जा भी दे दिया। मधु के पास कभी कब्जा नहीं रहा। इसको लेकर सत्यनारायण ने बिल्डर मिश्रा की आईजी से शिकायत की थी, जिस पर 1 नंबर 2018 को 420 का मुकदमा दर्ज है।
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