फैसले के बाद सत्यनारायण जाधव नामक शख्स अपने वकील रोहित दुबे के साथ शर्मा की अदालत में पहुंचे। कहना था कि ये फैसला गलत है। जब इस मामले में एक बार फैसला हो चुका है तो दूसरी बार कैसे हो सकता है। ये सुनकर शर्मा भी चौंक गए। दुबे ने बाद में दस्तावेज पेश किए। कहना था कि ये केस पूर्व अपर कलेक्टर रुचिका चौहान की अदालत में एआरसीआईएल के नाम से लगाया गया था। इस बार कम्पनी ने अपना नाम पूरा लिखकर केस लगाया। उस समय हमने आपत्ति दर्ज कराई थी, क्योंकि संपत्ति के असल मालिक तो हम हैं। 18 जून 2008 को पंजीकृत विक्रय पत्र के माध्यम से खरीदी थी, तब से उस पर हम काबिज हैं। बकायदा उसका संपत्ति कर भी भर रहे हैं। हमने कभी बैंक लोन लिया नहीं। उसके आधार पर तत्कालीन अपर कलेक्टर चौहान ने आवेदन को निरस्त कर दिया था।
खुलासा होने के बाद अपर कलेक्टर शर्मा भी स्तब्ध थे। सत्यनारायण के वकील दुबे ने तुरंत एक आपत्ति दर्ज कराई। कहा गया कि बैंक और वसूली को लेकर अधिकृत की गई अंसट रिस्ट्रक्शन कम्पनी के खिलाफ धोखाधड़ी और साक्ष्य छिपाने के मामले में आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए। अदालत को अंधेरे में रखकर साक्ष्य छिपाए गए। इस पर शर्मा अब बैंक व कम्पनी दोनों को नोटिस जारी करने की तैयारी कर रही है।
गौरतलब है कि अनिल मिश्रा निवासी रामचंद्र नगर ने आशा पैलेस कॉलोनी में मधु सेन को बेचकर कागजों पर लोन दिया दिया। बाद में वही मकान सत्यनारायण जाधव को भी रजिस्ट्री की और कब्जा भी दे दिया। मधु के पास कभी कब्जा नहीं रहा। इसको लेकर सत्यनारायण ने बिल्डर मिश्रा की आईजी से शिकायत की थी, जिस पर 1 नंबर 2018 को 420 का मुकदमा दर्ज है।