खपत कम होने के बावजूद अधिक राशि के बिल देने, पुराना रिकॉर्ड न होने, बिल की राशि जमा होने के बावजूद फिर से जुड़कर आने, पुराने बिल न मिलने से संशोधन न होने और बिजली खाते में हुए लेन-देन का हिसाब न मिलने आदि को लेकर विवाद होते रहते हैं, जो कभी-कभी इतने बढ़ जाते हैं कि जोनल ऑफिस में तोडफ़ोड़ होने के साथ जोन पर मौजूद स्टाफ के साथ मारपीट हो जाती है। अब ऊर्जस एप पर आज से बिजली के पुराने बिल व खाते में हुए लेन-देन की पासबुक सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
इससे उपभोक्ताओं के पास अपने बिल की सारी जानकारी पासबुक के जरिए रहेगी और विवाद की स्थिति नहीं बनेगी। उपभोक्ता ऊर्जस एप पर सारी जानकारी देख पाएंगे। प्रबंध निदेशक विकास नरवाल, मुख्य महाप्रबंधक संतोष टैगोर और निदेशक मनोज झंवर ने आईटी टीम के इस कार्य की सराहना की है। अधीक्षण यंत्री सुनील पाटौदी ने कहा कि इस सुविधा से उपभोक्ता संतुष्टि बढ़ेगी, बिल व जमा राशि को लेकर विवाद नहीं होंगे।