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इंदौर

पाकिस्तान से आई गीता की तो ‘धर्म की मां’ ही चली गईं…विदेश मंत्री सुषमा स्वराज मानती थी बेटी

मूक-बधिर संस्था में केयर टेकर मोनिका ने कहा, गीता तो दुखद सूचना सुनते ही मायूस हो गई

इंदौरAug 07, 2019 / 12:21 pm

रीना शर्मा

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पाकिस्तान से आई गीता की तो ‘धर्म की मां’ ही चली गईं…विदेश मंत्री सुषमा स्वराज मानती थी बेटी

इंदौर. साल 2015 में विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज के प्रयास से पाकिस्तान से मूक-बधिर गीता को भारत लाया गयाा। वे गीता को अपनी बेटी की तरह मानती थीं। मंगलवार को गीता की धर्म की मां ही चली गई। हालांकि इंदौर में गुमाश्ता नगर स्थित मूक-बधिर संस्था में रह रही गीता को रात में इसकी जानकारी नहीं दी गई। स्वराज ने गीता के माता-पिता की तलाश के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी। गीता की घर वापसी के बाद कई लोगों ने उसके माता-पिता होने का दावा किया था। इसे सत्यापित करने के लिए सरकार ने डीएनए टेस्ट भी कराए, लेकिन गीता के परिजन का पता नहीं चल पाया।
26 अक्टूबर 2016 को इंदौर आई : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की कोशिशों के बाद गीता को 26 अक्टूबर 2016 को पाकिस्तान से लाया गया था। सुषमा उसके माता-पिता की तलाश से लेकर उसकी शादी कराने में भी मुख्य भूमिका निभा रही थीं। गीता को इंदौर की मूक-बधिर संस्था में रखा गया। संस्था की कर्ताधर्ता मोनिका पंजाबी का कहना है, सुषमा स्वराज से गीता आखिरी बार इंदौर में पांच महीने पहले एक शादी समोराह में मिली थी। गीता को खुद सुषमा स्वराज ने बुलाया था। वे गीता की मां थीं। मां की तरह हमेशा गीता की चिंता की। गीता को उन्होंने भोपाल भी बुलाया था। गीता उनसे मिलने दिल्ली तक गई थी। गीता प्रतिदिन रात १०.३0 बजे सो जाती है, इसीलिए उसे अभी दु:खद समाचार नहीं दिया गया है।
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शादी के लिए गीता ने रखी थी शर्त : गौरतलब है, गीता से शादी के लिए 30 से अधिक युवकों ने बायोडाटा भेजा था। गीता की शादी को लेकर विदेश मंत्रालय सारी देखरेख कर रहा था। गीता कई लडक़ों से मिली भी, लेकिन कोई पसंद नहीं आया। गीता ने शादी करने के लिए अनोखी शर्त रखी थी कि उसे ही जीवनसाथी बनाएगी जो शादी में 8वें वचन के रूप में उसके माता-पिता को ढूंढने का काम करेगा।
-2003 में 11 की उम्र में गलती से गीता पाकिस्तान चली गई।
-पाकिस्तानी रैंजर्स ने उसे लाहौर से पकड़ा और ईधी फाउंडेशन को सौंपा।
-संस्था की संचालक बिल्कीस ईधि ने उसे गीता नाम दिया।
-मानवाधिकार कार्यकर्ता
अंसार बर्नी ने उसकी देखरेख की और अपनी बेटी की तरह पाला।
-बर्नी अक्टूबर 2012 में गीता की तस्वीरे लेकर भारत आए, पर उन्हें निराशा हाथ लगी।
-केंद्र सरकार व कई सामाजिक संगठनों के प्रयास के बाद गीता को भारत लाने पर सहमति बनी।
-26 अक्टूबर 2015 को सुबह 11 बजे उसे कराची से दिल्ली लाया गया। इसी दिन तत्कालीन विदेश मंत्री स्वराज ने उसे -इंदौर के एक मूक-बधिर संगठन को सौंपने की घोषणा की थी।
-वे कई बार गीता से मिलने इंदौर भी आईं।
-स्वराज ने गीता के परिजन को खोजने के प्रयास किए। उसकी शादी के लिए भी वे चिंतित थीं।

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