रविवार गीता मर्मज्ञ स्वामी दिव्यानंद भिक्षु ने मल्हारगंज स्थित नारनौली अग्रवाला पंचायती ट्रस्ट भवन पर गीता प्रचार समिति एवं गीता विहारी ज्ञान विद्यापीठ की इंदौर शाखा के तत्वावधान में आयोजित व्यासपूजन महोत्सव में उक्त खरी खरी बातें कही। उन्होंने कहा कि विवाह तो शिव पार्वती का भी हुआ लेकिन तब विवाह के नाम पर कुरीतियां और विकृतियां नहीं थी। आज कल तो विवाह में शराब और मांसाहार की दावते भी खुले रूप से होने लगी है। विवाह के लिए मुहूर्त भी निकलवाए जाते हैं। समाज में ऐसी अनेक विसंगतिया पनप रही है जो हमारी धार्मिक पौराणिक व्यवस्थाओं को विकृत बना रही हैं। हमारे धर्म ग्रंथ उतने ही पवित्र हैं जितने अपने निर्माण के समय थे। गुरू धर्म और दिमाग की सफाई का काम करते हैं। गुरू पूजन का उद्देश्य भी यही है कि समाज बुरी परंपराओं से बच कर रहे। प्रारंभ में आयोजन समिति के श्याम सिंघल अन्नपूर्णा, बनवारीलाल जाजोदिया, किशोर गोयल, प्रकाश सिंघल आदि ने डॉ भिक्षु की अगवानी की । समाजसेवी श्यामसुंदर विजयवर्गीय, गणेश गोयल, पार्षद राजेन्द्र राठौर, हरि अग्रवाल, दीपक पैठनकर, नारायण अग्रवाल सहित मालवांचल के सैंकड़ो भक्तों ने कतारबद्ध हो कर पादपूजन किया। अनेक संगठनों की ओर से डॉ भिक्षु को स्मृति चिन्ह भी भेंट किए। कार्यक्रम का शुभारंभ भजन एवं गुरुवंदना के साथ हुआ।