3 से 7 हजार में मोबाइल सिम और 10 हजार में बैंक खाते क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी गुरुप्रसाद पाराशर, एसीपी अनिलसिंह चौहान और सब इंस्पेक्टर कमल माहेश्वरी के नेतृत्व में एक टीम 24 घंटे छानबीन में लगी रहती है। जिन नंबरों को ब्लॉक कराया गया है, उनमें अधिकांश असम, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के हैं। नंबरों की जांच के बाद पुलिस रिपोर्ट शासन को भेजी जाती है। ऑनलाइन ठगी में बांग्लादेश व नेपाल के लोगों का इस्तेमाल हो रहा है। यहां के लोग देश में आकर आसानी से पहचान-पत्र बनवा रहे हैं। ऑनलाइन ठगी के संगठित गिरोह इन लोगों से पहचान-पत्र हासिल कर लेते हैं। दुकानदार भी कमाई करते हुए ठगोरों को 3 से 7 हजार तक में मोबाइल सिम बेच रहे हैं। ठगी की राशि जमा कराने के लिए 10 हजार रुपए में बैंक अकाउंट मिल जाता है। जिन लोगों के पहचान-पत्र का इस्तेमाल होता है, वे अपने देश लौट जाते हैं और उनके नाम की सिम, बैंक खाते का इस्तेमाल गिरोह करते हैं।
क्राइम ब्रांच के एसआइ कमल माहेश्वरी की टीम ने कई दिनों की रैकी के बाद भरतपुर (राजस्थान) के गांव उडकी डल्ला से आरोपी शौकीन को पकड़ा था। वह कई लोगों के साथ ओएलएक्स पर आर्मी मैन बनकर ठगी कर चुका था। कई दिन की रैकी के बाद उसे पकड़ा जा सका। उससे पता चला कि वहां कई गांवों में सक्रिय मेवात गिरोह सिर्फ ओएलएक्स पर आर्मी मैन बनकर ठगी करता है। दूसरे के नाम से मोबाइल सिम व अकाउंट लिए जाते हैं।
गुरुवार को यह नंबर कराए ब्लॉक 987712456६
8420406849 7379960849
6900834132 7557080110
7974560096 9001280407
9339807117
वक्त पर सूचना से वापस मिले ३० लाख साइबर के संबंध में जागरुकता बढ़ रही है। ऑनलाइन ठगी की समय पर सूचना मिलने से जनवरी में पुलिस ने लोगों को ठगे गए ३० लाख रुपए लौटाए हैं। वर्ष २०२१ में यह राशि एक करोड़़ 28 लाख रुपए थी।