दालों की मांग-आपूर्ति के बीच सरकार की मुश्किले बढ़ीं
सरकार के सामने इधर कुआ तो उधर खाई की स्थिति

विशाल माते
इंदौर. दालों की मांग-आपूर्ति के बीच संतुलन और मूल्य के उतार-चढ़ाव को लेकर पुख्ता प्रबंधन न होने से सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सरकार के सामने इधर कुआ तो उधर खाई की स्थिति बनी हुई है। महंगी दाल खरीद कर व्यापारियों को सस्ते में बेचने की नीति सरकार को भारी पडऩी तय है। खरीद सीजन में ही व्यापारियों ने दाल खरीद से खुद को दूर कर लिया है। इससे सरकारी एजेंसियों पर दलहन खरीद का दबाव और बढ़ गया है। दालों का लगतार बढ़ता स्टॉक मुश्किलों का सबब बन सकता है, जिससे खजाने पर बोझ बढ़ेगा।
कृषि क्षेत्र में कोई चूक नहीं चाहती सरकार
राजनीतिक रूप से अति संवेदनशील कृषि क्षेत्र में सरकार कोई चूक नहीं करना चाहती है। दलहन उपज की खरीद को सरकार ने उच्च प्राथमिकता दी है। अच्छा समर्थन मूल्य घोषित होने से दलहन की रिकॉर्ड पैदावार हुई है, जिससे बाजार में कीमतें धराशायी हो गईं। इससे निपटने के लिए केंद्र ने सरकारी एजेंसियों को समर्थन मूल्य पर दालों की खरीद में लगा दिया है। बाजार में कीमतें बहुत नीचे हैंए जिससे सरकारी एजेंसियों पर खरीद का दबाव बढ़ गया है। नतीजा यह हुआ कि सरकारी गोदामों में दालों का स्टॉक पिछले साल के बफर स्टॉक के मुकाबले दोगुना से भी अधिक हो चुका है। असलए चुनौती इस स्टॉक को बेचने की होगी, जिसे व्यापारियों को उनके मुंह मांगे मूल्य पर बेचना होगा। इससे सरकारी खजाने पर भारी बोझ पडऩा तय है।
35 लाख टन से भी अधिक दालों की खरीद
गेहूं व चावल की सरकारी खरीद और उसे पीडीएस के तहत लोगों में वितरित करने की एक सुव्यवस्थित राशन प्रणाली है। लेकिन दाल के साथ ऐसा नहीं है। दालों की खरीद करने वाली एजेंसियां तेजी से काम कर रही हैं, जिन्हें वितरण का कोई अनुभव नहीं है। नैफेड जैसी सरकारी खरीद एजेंसी केंद्र के दबाव में अब तक 35 लाख टन से भी अधिक दालों की खरीद कर चुकी है। खरीद अभी जारी है, जिससे स्टॉक अभी और बढ़ेगा। यह खरीद कृषि मंत्रालय की ओर से मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत हो रही है।
भारी स्टॉक को खपाने की चुनौती
दूसरी ओर खाद्य व उपभोक्ता मामले मंत्रालय की ओर से मूल्य स्थिरीकरण योजना के तहत बफर स्टॉक बनाया जा रहा है। इसके तहत पिछले साल के बफर स्टॉक की पुरानी आठ लाख टन से अधिक दालें बची हुई हैए जिसे कोई राज्य सरकारें उठाने से बच रही हैं। लिहाजा सरकारी स्टॉक में कु ल 45 लाख टन दाल हो चुकी है। दाल के इस भारी स्टॉक को खपाने की चुनौती से सरकार को दो चार होना पड़ेगा, जो उसके लिए कतई आसान नहीं होगा।
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