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सरकारी स्कूल, जो प्रायवेट को मात दे रहे

locationइंदौरPublished: Jan 28, 2018 07:05:19 pm

Submitted by:

amit mandloi

यहां एडमिशन के लिए लगती है लाइन, शिक्षकों ने अपने दृढ़ इरादों ने बदल दिया स्कूलों का हुलिया

GOVERNMENT SCHOOL
रीना शर्मा विजयवर्गीय
इंदौर. शहर के सरकारी स्कूलों की हालत को लेकर कई बार सवाल उठाए जाते हैं, लेकिन हर बार बात सरकार और नगर निगम के सुस्त रवैये पर आकर ठहर जाती है। इसके उलट शहर में कुछ ऐसे स्कूल भी हैं, जिन्हें लोगों ने शिक्षकों की मदद से संवारा और अब ये मॉडल स्कूल की टक्कर में खड़े हैं।
कुलकर्णी भट्टा
पहली से पांचवींं तक
12 शिक्षक 400 बच्चे
पहले : वर्ष २००० से संचालित शासकीय माध्यमिक विद्यालय क्रमांक ५१ और शा. प्रा. विद्यालय क्रमांक १०५ में सुबह जब बच्चे पढऩे आते थे, तो कभी शराब की बोतलें तो कभी गंदगी पड़ी नजर आती थी। असामाजिक तत्व ताले तोडक़र स्कूल के अंदर घुस जाते थे। उन्होंने स्कूल की बाउंड्रीवॉल भी तोड़ दी थी। लडक़े-लड़कियों के लिए शौचालय भी एक ही था।
अब : पांच वर्षों में प्रिंसिपल अनुलता सिंह, स्कूल के अन्य शिक्षक और बस्ती के रहवासियों ने न सिर्फ स्कूल में लडक़े-लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय बनवाए, बल्कि सरकार की भी सभी एक्टिविटी को फॉलो किया। स्कूल में नए कमरे बनाए गए हैं। ग्राउंड फ्लोर पर चलने वाला स्कूल एक मंजिला हो गया है। बाउंड्रीवॉल से स्कूल को चारों ओर से कवर कर लिया है, ताकि सुरक्षा का मसला न रहे। सामूहिक प्रयास और जागरूकता के चलते यहां नवशाला सिद्धि, कम्प्यूटर लैब, स्मार्ट क्लास, लाइब्रेरी, एक्टिविटी रूम भी हैं।
मूसाखेड़ी स्कूल
पहली से दसवीं तक
10 से ज्यादा शिक्षक
४०० बच्चेपहले : बच्चों के बैठने के लिए स्कूल में फर्नीचर तक नहीं था। ठंड में भी बच्चे जमीन पर ही बैठते थे। केवल एक हॉल में स्कूल संचालित हो रहा था, कक्षाएं भी समय पर नहीं लगती थीं। निगम और शिक्षा विभाग की अनुमति पर भी विवाद था। खुले मैदान में स्कूल होने से अकसर यहां दुकानें भी लग जाया करती थीं। दिनभर असामाजिक तत्व तफरीह करते रहते थे और मैदान में शराबी बैठे रहते थे।
अब : अब टेबल-कुर्सी लग गई हैं। नगर निगम से स्कूल की अनुमति भी मिल चुकी है और नया भवन तैयार हो गया है। अब दुकानें भी नहीं लगतीं, जिसके चलते बच्चों को परेशानी नहीं होती। संभागायुक्त संजय दुबे इस स्कूल में आठवीं के बच्चों को प्रति सप्ताह पढ़ाने जाते हैं। उनकी और लोगों की पहल से इस स्कूल की तस्वीर बदल चुकी है। उन्होंने सख्ती करवाकर असामाजिक तत्वों का प्रवेश भी बंद करवा दिया है।

शा माविसीआरपी लाइन
पहली से आठवीं तक
06 से ज्यादा शिक्षक
125 बच्चेपहले : १९५६ से संचालित इस स्कूल का न तो कभी रंग-रोगन हुआ और न ही यहां बच्चों के लिए ढंग की कक्षाएं थीं। मध्याह्न भोजन भी अच्छा नहीं मिलता था। बिजली और पानी की व्यवस्था और शौचालय तक नहीं थे।
अब : मानव मंदिर ट्रस्ट, संस्था टेरी व शिक्षकों की पहल से स्कूल में अब न सिर्फ स्मार्ट क्लासेस चल रही हैं, बल्कि बच्चों को अच्छा मध्याह्न भोजन भी मिलने लगा है। स्कूल में शौचालय बना दिए गए हंै। सभी कक्षाओं में बिजली व पानी की भी भरपूर व्यवस्था है। बच्चे अब फिल्टर का पानी पीते हैं। कम्प्यूटर लैब सहित बच्चों को तमाम आधुनिक सुविधाएं मिल रही हैं। प्रिंसिपल अशोक कुमार थंदेले के मुताबिक, शिक्षा विभाग के सहयोग से सुधार किया।
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