‘नानी चल नहीं सकती, इसलिए मैं लेने आई हूं’
इंदौरPublished: May 29, 2020 04:48:50 pm
कोरोना के दो महीने से भी ज्यादा लंबे लॉकडाउन में गरीब और असहाय लोगों की मदद करने वाले लोग मानवीय हैं, तो उनसे यह मदद प्राप्त करने वाले चेहरे करुणामयी हैं। ऐसे करुणामयी कि मदद करने वालों का कलेजा मुंह को आ जाए। ऐसे कुछ अनुभव कोरोनाकाल में लोगों की मदद में जुटे कुछ समाजसेवियों के हैं।
जिये सिंधु ग्रुप के अध्यक्ष प्रकाश राजदेव बच्ची को राशन प्रदान करते हुए।,एकता ग्रुप की राशन सामग्री वितरण के लिए तैयार
इंदौर. कोरोना के दो महीने से भी ज्यादा लंबे लॉकडाउन में गरीब और असहाय लोगों की मदद करने वाले लोग मानवीय हैं, तो उनसे यह मदद प्राप्त करने वाले चेहरे करुणामयी हैं। ऐसे करुणामयी कि मदद करने वालों का कलेजा मुंह को आ जाए।
ऐसे कुछ अनुभव कोरोनाकाल में लोगों की मदद में जुटे कुछ समाजसेवियों के हैं। लॉकडाउन के तुरंत बाद गरीब व जरूरतमंद लोगों तक राशन सामग्री पहुंचाने वाले संगठन जिये सिंधु ग्रुप के अध्यक्ष प्रकाश राजदेव ने ऐसे किसी भाव विह्वल अनुभव के बारे में पूछे जाने पर कहा कि लॉकडाउन के 60वें दिन ग्रुप के सदस्य द्वारकापुरी में राशन सामग्री बांट रहे थे, तो एक बुजुर्ग महिला का नाम पुकारने पर सात साल की एक बच्ची आगे आई। पूछने पर उसने एक याचक की भांति कहा कि नाम उसकी नानी का है, जो चल नहीं सकती। इसलिए वह राशन लेने आई है। यह सुनकर दिल भर आया।
ऐसे ही एक अनुभव से एकता ग्रुप के अध्यक्ष लालचंद टी वाधवानी भी गुजरे। उन्होंने बताया कि ग्रुप के सदस्य लोगों के घर-घर जाकर राशन पहुंचा रहे हैं। इस दौरान लाडक़ाना नगर में एक बुजुर्ग दम्पती ने गिड़गिड़ा कर कहा कि वे नीचे उतर नहीं पाते। तब उन्हें ऊपर जाकर सामग्री सौंपी।
अब तक 1650 परिवारों को मदद
इन दोनों संगठनों में जिये सिंधु ग्रुप ने अब तक 1150 और एकता ग्रुप ने 500 परिवारों को मदद की है। जिये सिंधु ग्रुप ने हर वर्ग व समाजों के गरीब व जरूरतमंद का मापदंड बनाया है, जबकि एकता ग्रुप ने सिंधी समाज के ऐसे जरूरतमंद परिवारों तक मदद पहुंचाई है।
घरों तक पहुंचाने के अलावा आश्रमों में भी मदद
एकता ग्रुप के अध्यक्ष वाधवानी ने कहा कि ग्रुप ने घर-घर मदद पहुंचाने के अलावा आश्रमों में भी राशन सामग्री पहुंचाई, ताकि उस पर निर्भर जरूरतमंदों की जरूरत भी पूरी हो सके। ग्रुप के सदस्यों मंशाराम राजानी, दौलतराम कटारिया, भगवानदास कालरा, मनोहर हरगुनानी, साजनदास वाधवानी, सुनील कालरा आदि ने धन का भी सहयोग किया और लोगों तक सामग्री पहुंचाने में भी मदद की। इनके अलावा भी समाज के बड़े वर्ग ने आर्थिक सहयोग प्रदान किया।