इन मकानों का अहसास है प्रकृति के दुलार जैसा, आप भी जानें कैसे
पर्यावरण को सुरक्षित रखने और नेचुरल रिसोर्सेस का सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए इन दिनों शहरों में ग्रीन बिल्डिंग कंसेप्ट को प्रमोट किया जा रहा है।

(आजाद जैन की बिल्डिंग को ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल से प्लेटिनम रेटिंग प्राप्त है। इसमें टाइल्स की जगह ग्रास पैवर्स यूज किए गए हैं, जो कि वाटर हार्वेस्टिंग और टेम्प्रेचर मेंटेन करते हैं। स्वीमिंग पूल ऐसे डिजाइन किया है कि यहां से ठंडी हवा घर के अंदर तक जाती है। बिजली के लिए सोलर पैनल का यूज किया गया है।)
इंदौर। पर्यावरण को सुरक्षित रखने और नेचुरल रिसोर्सेस का सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए इन दिनों शहरों में ग्रीन बिल्डिंग कंसेप्ट को प्रमोट किया जा रहा है। इस तरह की बिल्डिंग के जरिए बढ़ते प्रदूषण और बिजली की खपत को कम करने कि कोशिश की जा रही है। ग्रीन बिल्डिंग कंसेप्ट पर बिल्डिंग की डिजाइन का नया ट्रेंड शुरू हो गया है। इस तरह की बिल्डिंग को तैयार करने में दूसरी बिल्डिंग की तुलना 3 से 4 परसेंट एक्सट्रा खर्च होता है पर इससे होने वाले फायदों में यह कीमत 2 से 3 वर्ष में ही वसूल हो जाती है।
आकड़ों की मानें तो स्मार्ट सिटी की ओर आगे बढ़ रहे शहर में ग्रीन बिल्डिंग के 28 से ज्यादा रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट्स जिसमें 5 करोड़ 7 लाख 64 हजार 391 वर्ग फीट एरिया शामिल है। जो इस बात को बताते हैं कि शहर के लोग ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट को अपना रहे हैं। 2 साल पहले तक यह सिर्फ 7 लाख 61 हजार वर्ग फीट एरिया तक सीमित थे।

वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी का रीयूज
आर्किटेक्ट दीप्ति व्यास बताती हैं ग्रीन बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स में सबसे ज्यादा पानी की बचत होती है। ग्राउंट वाटर रिचार्जिंग के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की जाती है। वहीं से लेकर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में ड्यूल फ्लश लाइन का यूज किया जाता है। इसके तहत फ्लश में इस्तेमाल पानी को ट्रीटमेंट के बाद वापस फ्लश और दूसरे छोटे कामों के लिए किया जा सकता है। बिल्डिंग में यूज होने वाले पानी को रिसाइकल कर उसे वापस उपयोग में ले सकते हैं।
सोलर पाथ को ध्यान में रख किया डिजाइन
इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) के इंदौर चैप्टर के चेयरमैन जितेंद्र मेहता कहते हैं कि ग्रीन बिल्डिंग्स को लेकर इंदौर में काफी अवेयरनेस बढ़ी है। गवर्नमेंट प्रोजेक्ट्स के साथ लोग ऑफिस और घर को ग्रीन बिल्डिंग कंसेप्ट के तहत डिजाइन करवा रहे हैं। ऐसी बिल्डिंग्स को सोलर पाथ को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया जाता है। सन लाइट का यूज ऐसे होता है कि घर में प्रकाश तो मिले पर उसका तापमान ना बढ़े। इससे दिन में लाइट्स जलाने की जरूरत कम पड़ती है साथ ही एयर कंडीशनर की खपत भी कम होती है। इस तरह से बड़ी मात्रा में बिजली की बचत होती है।

इंजीनियर आजाद जैन ने बताया कि उन्होंने खुद का घर ग्रीन बिल्डिंग कन्सेप्ट पर तैयार किया है। पूरे घर को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि घर में मैक्सिमम नेचुरल लाइट मिल सके। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखा गया है कि...
ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट के फायदे
> टेम्प्रेचर कंट्रोल में होने के कारण एयर कंडीशनर की जरूरत कम
> वाटर रिचार्जिंग से भू-जलस्तर को बढ़ाने में मदद
> सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से पानी का मैक्सिमम यूज
> बिल्डिंग में ऊर्जा के साथ पर्यावरण की सुरक्षा का ध्यान ज्यादा
> 2 से 3 साल में निकल आती है ग्रीन बिल्डिंग की कॉस्ट
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