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इंदौर

सडक़ों पर नालियों का पानी कुएं को बनाया कूड़ाघर

लंबे समय से क्षेत्रवासी झेल रहे गंदगी की समस्या

इंदौरFeb 15, 2018 / 06:20 pm

nidhi awasthi

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डॉ.आंबेडकरनगर(महू). स्वच्छ भारत अभियान के तहत संपूर्ण जनपद क्षेत्र ओडीएफ तो घोषित हो गया, लेकिन उसका मुख्य उद्देश्य स्वच्छता अब भी अधूरा है। गांवों में गंदगी की समस्या से निजात नहीं मिल पा रही है। जिसका उदाहरण ग्राम पंचायत भगोरा में भी नजर आया। यहां पंचायत भवन के पास ही मौजूद कुएं को कूड़ा घर में तब्दील कर दिया गया, और जगह-जगह सडक़ पर नालियों को पानी बहता दिखाई दिया।
ग्राम पंचायत के पास ही मौजूद कुएं में कचरा डाला जा रहा है और कुआं कचरे से आधे से भी अधिक भर गया। पंचायत भवन तक के पास कूड़े का ढेर लगा रहा। ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों के सामने सफाई की यह स्थिति है और उनकी ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा। उधर, गांव के मुख्य मार्ग किनारे ही कचरे का ढेर लगा रहा और सडक़ पर नाले का दूषित पानी फैला रहा। ग्रामीणों ने बताया, नाले का पानी तो सालभर इस सडक़ पर बहता रहता है। सिर्फ मुख्य मार्ग की यह स्थिति नहीं है बल्कि रहवासी क्षेत्र में भी नालियों का पानी सडक़ पर बहता रहता है। साफ-सफाई पर पंचायत का कोई फोकस नहीं है, न नालियां साफ कराई जा रही हैं, न ही सफाई व्यवस्था में कसावट लाने के कोई प्रयास किए। जिस कारण जगह-जगह यहां-वहां कचरे व गंदगी का अंबार लगा है। हालत यह है कि पंचायत गांव का कचरा दूर भी नहीं फिकवा पा रही है। ग्राम पंचायत सचिव पंकज शर्मा ने बताया, सफाई कर्मचारी का वाहन खराब है, जिसे सुधरवाना है। इसलिए वह कचरा दूर नहीं फेंक पा रहा व कुंए में डाल रहा होगा। साथ ही बताया, १४वें वित्त आयोग की राशि से गांव में खरंजा निर्माण, नाली निर्माण सहित अन्य कार्य होना है। जो जल्द शुरू होंगे।

सभी ग्राम पंचायत से डीपीआर बनवाई, सालभर बाद भी कुछ नहीं हुआ: ग्राम पंचायतों में सिर्फ शौचालय निर्माण को लेकर राशि मिली। नगरीय निकायों की तरह सफाई व्यवस्था पर आज तक कोई बजट निर्धारित नहीं किया। जनपद क्षेत्र की सिर्फ दो-तीन पंचायत में जिला पंचायत व विधायक निधि से कचरा वाहन भेजे गए। हालत यह है कि ग्राम पंचायतों में सफाई व्यवस्था के लिए उचित संसाधन ही नहीं हैं। गवली पलासिया, कोदरिया जैसी बड़ी पंचायतों में करों की वसूली अधिक होने से संबंधित पंचायत ने अपने स्तर पर संसाधन जुटाए, लेकिन छोटी पंचायतों में जहां वसूली अधिक नहीं हैं, वहां न पंचायत के जिम्मेदार और न ही जनपद या जिला पंचायत की ओर से कोई इंतजाम किए गए। सालभर पहले सभी पंचायतों से उनके क्षेत्र में सफाई से संबंधित इंतजामों को लेकर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट(डीपीआर) बनवाई गई। लेकिन इस पर आगे न बजट मिला, न आगे कोई कार्रवाई हुई।

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