संतोष चौहान ने बताया कि बच्चों को स्कूल जाने के लिए घूम कर कलारिया जाना होता है। यहां आठवीं तक स्कूल है। इसके बाद नाव के सहारे ही पार कर कलारिया जाते हैं। बारिश में तो डर लगता है। अभी तो नदी में पानी उतर गया है। पचास साल से अफसर, नेताओं को कह रहे, लेकिन इस समस्या का हल नहीं निकाल रहे हैं। ग्रामीण ताराचंद अपना कटा हुआ पैर दिखाते हुए कहते हैं, शहर से अच्छी सडक़ बन गई। इससे हमारी समस्या हल नहीं हुई है। रोजाना इंदौर, धार थोड़ी जाना होता है। सांसद सुमित्रा महाजन एक बार आ कर देख गईं, लेकिन हल नहीं मिला। विधायकों को तो कहते-कहते थक गए।
शिप्रा नदी के किनारे स्थित हिरली गांव में स्थिति और भी गंभीर है। यहां ग्रामीण कई बार आंदोलन कर चुके हैं, लेकिन अभी तक पुल का निर्माण नहीं हो पाया है। हालांकि कई बार कागजी घोड़े जरूर दौड़े, लेकिन स्थितियां नहीं बदलीं। अब थककर छात्राओं ने यहां तैराकी प्रतियोगिता ही रख दी है। हिरली में पुल बनाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रही छात्राओं प्रतिनिधि महक पठान ने कहा मजबूरी में हम नाव के सहारे नदी पार करते हैं। ऐसे में हम कुशल तैराक भी हो चुके हैं। नदी में कितनी भी बाढ़ आ जाए क्षेत्र के लोगों को अपने काम से उस पार जाना ही होता है। उपेक्षा के खिलाफ अब हमने 26 नवंबर को प्रतियोगिता रखी है।
मामला मेरे संज्ञान में नहीं लाया गया। यदि लोगों को परेशानी हो रही है तो चर्चा करके पुलिया बनवाई जाएगी। इस तरह के मामलों में अधिकारियों से जानकारी ले कर समस्या का हल करेंगे।
-शंकर लालवानी, सांसद इंदौर