गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) बिल लागू हो चूका है है। इस बिल के लागू होने के बाद तमाम कई इनडायरेक्ट टैक्सों को हटाकर उनकी जगह एक टैक्स लगाया जाएगा। इससे देश की अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कई फायदे होंगे।
टैक्स भरने में होगी आसानी
देश में अभी लागू 17 इनडायरेक्ट टैक्सों की जगह सिफज़् एक टैक्स जीएसटी लगेगा। इससे बार-बार टैक्स देने का झंझट खत्म होगा और लागत भी कम हो जाएगी।
राजस्व में होगी बढ़ोत्तरी
इनपुट टैक्स क्रेडिट, सप्लायर को टैक्स अदा करने के लिए उत्साहित करेगा। राज्य और केंद्र्र दोंनो टैक्स पेमेंट पर नजर रखेंगे। टैक्स फ्री गुड्स की संख्या में कमी आएगी।
कॉमन मार्केट
बाजार अभी राज्य की सीमाओं के साथ बंटा हुआ है। जीएसटी आने के बाद कॉमन मार्केट बन सकेगा।
लॉजिस्टिक और इन्वेंट्री कॉस्ट में गिरावट
हर एक स्टेट बॉर्डर पर चेकिंग से ट्रक मूवमेंट स्लो हो जाता है। भारत में एक दिन में औसतन 280 किलोमीटर चलने वाले ट्रक की तुलना में अमेरिका के ट्रक 800 किलोमीटर चलते हैं।
इन्वेस्टमेंट बूस्ट
अभी कई कैपिटल गुड्स के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिल पाता है। जीएसटी आने के बाद कैपिटल गुड्स की लागत में 12 से 14 प्रतिशत की गिरावट आएगी। कैपिटल गुड्स इन्वेस्टमेंट में छह प्रतिशत का इजाफा होगा।
मेक इन इंडिया
जीएसटी लागू होने के बाद मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र काफी प्रतिस्पर्धा हो जाएगा। और मेक इन इंडिया में तेजी आएगी।
कम विकसित राज्यों को मिलेगा फायदा
अभी राज्य के बाहर समान ले जाने पर दो प्रतिशत का टैक्स लगाया जाता है। इससे राज्य में होने वाला उत्पादन राज्य के ही अन्दर रह जाता है। जीएसटी के आने के बाद एक नैशनल माकेज़्ट तैयार हो जाएगा और सबके लिए नए अवसर पैदा होंगे।
मैन्युफैक्चरिंग सामान सस्ता हो सकता है
लॉजिस्टिक और और टैक्स की लागत में कमी की वजह से समान सस्ते हो सकते हैं।
जीडीपी में बढ़ोत्तरी
एचएसबीसी के मुताबिक जीएसटी लागू होने के तीन से पांच साल के बाद जीडीपी में 80 बेसिस पॉइंट का इजाफा होगा।
ऑनलाइन मार्केट को फायदा
कुछ राज्यों में ई-कॉमर्स के नियम काफी पेचीदा होते हैं जिससे उन्हें इन राज्यों में अपना बिजनेस करने में दिक्कत होती है। कई ऑनलाइन सेलसज़् ऐसे हैं जो कुछ राज्यों में समान ही नहीं भेजते। जीएसटी के आनेके बाद यह सब खत्म हो जाएगा।
जानें नुकसान भी
जीएसटी लागू होने से केंद्र को तो फायदा होगा लेकिन राज्यों को इस बात का डर था कि इससे उन्हें नुकसान होगा क्योंकि इसके बाद वे कई तरह के टैक्स नहीं वसूले जाएंगे जिससे उनकी कमाई कम हो जाएगी। गौरतलब है कि पेट्रोल व डीजल से तो ेकई राज्यों का राज्यों का आधा बजट चलता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने राज्यों को राहत देते हुए मंजूरी दे दी है कि वे इस वस्तुओं पर शुरुआती सालों में टैक्स लेते रहें। राज्यों का जो भी नुकसान होगा, केंद्र उसकी भरपाई पांच साल तक करेगा