यह हैं दस महाविद्या के नाम
काली, तारा, त्रिपुरा सुंदरी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला। ग्रहों की शांति दस महाविद्या की साधना से
हर ग्रह का संबंध किसी एक महाविद्या से है। ग्रह संबंधी महाविद्या की आराधना से उससे संबंधी बाधाएं दूर होती हैं। सूर्य ग्रह के लिए मातंगी, चंद्रमा के लिए भुवनेश्वरी, मंगल के लिए बगलामुखी, बुध के लिए त्रिपुरा सुंदरी, गुरु के लिए तारा माता, शुक्र के लिए कमला माता, शनि के लिए माता काली, राहू के लिए छिन्नमस्तिका, केतु के लिए धूमावती की पूजा की जाना चाहिए। लग्न कमजोर या कोई दुष्प्रभाव है तो माता त्रिपुरा भैरव की आराधना से लग्न मजबूत होता है।
काली, तारा, त्रिपुरा सुंदरी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला। ग्रहों की शांति दस महाविद्या की साधना से
हर ग्रह का संबंध किसी एक महाविद्या से है। ग्रह संबंधी महाविद्या की आराधना से उससे संबंधी बाधाएं दूर होती हैं। सूर्य ग्रह के लिए मातंगी, चंद्रमा के लिए भुवनेश्वरी, मंगल के लिए बगलामुखी, बुध के लिए त्रिपुरा सुंदरी, गुरु के लिए तारा माता, शुक्र के लिए कमला माता, शनि के लिए माता काली, राहू के लिए छिन्नमस्तिका, केतु के लिए धूमावती की पूजा की जाना चाहिए। लग्न कमजोर या कोई दुष्प्रभाव है तो माता त्रिपुरा भैरव की आराधना से लग्न मजबूत होता है।