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हर साल 21.70 करोड़ रुपए खर्च, फिर भी आधा इंच बारिश में डूब जाता है शहर

locationइंदौरPublished: Jul 10, 2019 02:10:58 pm

सड़कों से पानी निकालने के साथ, बारिश के पानी निकासी के लिए बजट में ही पैसों का प्रावधान

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हर साल 21.70 करोड़ रुपए खर्च, फिर भी आधा इंच बारिश में डूब जाता है शहर

इंदौर. शहर में आधा इंच से भी कम बारिश में ही सड़कें, बस्तियां और कॉलोनी जलमग्न हो जाती हैं, जबकि यह हालात न बनें इसके लिए नगर निगम हर साल 21.70 करोड़ रुपए खर्च करता है। जनता की मेहनत की कमाई खर्च होने के बाद भी बनने वाले हालात पर शहर के कर्ताधर्ता मौन हैं।

बारिश के पानी की उचित निकासी के लिए निगम बजट में पैसों का प्रावधान करता है। पानी निकासी व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए बजट में दो मद बनाई गई हैं। सड़कों पर भरने वाले पानी की निकासी के लिए 20 करोड़ रुपए सालाना खर्च किया जाता है, जबकि बस्तियों में पानी की निकासी के लिए 1.70 करोड़ रुपए का प्रावधान है। निगम रिकॉर्ड के मुताबिक सड़कों और बस्तियों के पानी की निकासी के लिए बजट में आवंटित राशि निगम के अफसर खर्च भी करते हैं, पर जैसे ही पानी गिरता है, शहर पानी-पानी हो जाता है।

स्टॉर्म वाटर लाइन बनाने, साफ करने के काम करते हैं।

शहर में जल-जमाव न हो, इसके लिए जमीनी स्तर पर पैसा खर्च करने की व्यवस्था की गई है। शहर में पानी भराने वाले स्थानों पर क्या व्यवस्था करना है, यह जोनल स्तर पर तय होता है। जोनल अधिकारी ही उसकी प्लानिंग कर मुख्यालय को भेजते हैं। ज्यादातर सड़कों के किनारे स्टॉर्म वाटर लाइन डालने, पुरानी लाइन साफ करवाने, नालियां बनवाने, सीवरेज लाइनों की सफाई और डिस्पोजल की व्यवस्था के लिए प्रस्ताव निगम मुख्यालय से स्वीकृत कराकर अफसर काम करवाते हैं। ये काम अफसरों को इंजीनियरिंग के हिसाब से करने होते हैं, लेकिन निगम अधिकारी पार्षदों के हिसाब से नाली बनाने और सड़कों के निर्माण की व्यवस्था करते हैं, जिससे हमेशा ही यह व्यवस्था फेल हो जाती है।

तेज बारिश होने पर पानी निकासी में कुछ समय लगता है। वैसे शहर में बारिश के पानी निकासी की व्यवस्था में पहले से सुधार हुआ है। जहां पिछली बार पानी भराया था, वहां दोबारा पानी न भराए इसकी व्यवस्था करने के लिए निर्देश दिए गए हैं। उम्मीद है कि शहर में अब पानी नहीं भराएगा।

आशीष सिंह, निगमायुक्त

बजट में रखी गई राशि
वर्ष – जनकार्य विभाग – जलकार्य विभाग
2016-17 – 15 करोड़ – 85 लाख
2017-18 – 20 करोड़ – 1.70 करोड़
2018-19 – 20 करोड़ – 1.70 करोड़
2019-20 – 20 करोड़ -1.70 करोड़

 

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