इंदौर शहर में सबसे ज्यादा बजरंग बली के मंदिर हैं। समर्थ रामदास जब देश भ्रमण पर निकले थे तो इंदौर भी आए थे। उन्होंने कान्ह व सरस्वती नदी किनारे हनुमानजी के मंदिरों की स्थापना की थी। होलकर काल में उन मंदिरों को भव्य स्वरूप दिया गया। इसके अलावा शहर के कई इलाकों में भव्य मंदिर बने हुए है। हिंदू मान्यताओं के हिसाब से कलियुग का प्रभाव हनुमानजी के भक्तों पर नहीं पड़ेगा। इस मान्यता के चलते उनके भक्तों की संख्या भी काफी है। आज हनुमान जयंती है। भक्त अपने भगवान को प्रसन्न करने और दर्शन करने के लिए अल सुबह से निकल पड़े। शहर के कई मंदिरों में कतारें लगना शुरू हो गई थी। रणजीत हनुमान, चिडिय़ा घर के सामने सिद्धेश्वर वीर बालाजी हनुमान मंदिर, सुभाष चौक व राजबाड़ा के बजरंग बली, वीर बगीची के आलीजा सरकार, दास बगीची, सीएचएल के पास में वीर हनुमान मंदिर, संजय सेतु स्थित खेड़ापति हनुमान मंदिर, रूपराम नगर में वीर मारुति मंदिर में सुबह से विशेष पूजा शुरू हो गई थी। रुद्राभिषेक कर चोला चढ़ाया गया। पंडितों ने हनुमान चालीसा, बजरंगबाण और सुंदर कांड जैसे पाठ किए गए। इसके अलावा चना-चिरौंजी, बूंदी सहित कई प्रकार की मिठाइयों का प्रसाद बांटे गया। प्रमुख मंदिरो में तो दर्शन के लिए भक्तों को काफी देर तक लाइन में लगना पड़ा। शहर में सैकड़ों भंडारे, हजारों भक्त प्रसाद ग्रहण करेंगे। उसको लेकर सुबह से तैयारियां शुरू हो गईं।
एक भंडारा ऐसा भी
नंदलालपुरा सब्जी वीर सावरकर मार्केट स्थित वीर हनुमान मंदिर में अनूठा भंडारा होता है। ये आयोजन श्री योगी बम बम नाथ सेवा समिति, जय शिव कावड़ यात्रा महासंघ और श्री भागवत कथा सेवा समिति मिलकर करती है। जैसे शादियों में दाल, बाफले, लड्डू का भोजन कराया जाता है ठीक उसी प्रकार यहां के भंडारे में प्रसादी की व्यवस्था की जाती है। आने वाले भक्तों के लिए बकायदा कारपेट पर बैठक व्यवस्था की जाती है तो थाली रखने के लिए टेबल लगाई जाती है। भंडारे के लिए आयोजक दीपेश पचौरी और उनकी टीम एक माह पहले से घर-घर जाकर न्यौता बांटना शुरू कर देते हैं।