इंदौर जिले में अब तक 55.45 इंच बरसात हो गई है। सबसे ज्यादा आंकड़ा देपालपुर का है। यहां 66 इंच पानी बरस गया है। कई खेतों में तो अभी भी पानी है तो दूसरी तरफ अब तेज धूम निकल आई। ऐसे में फसल के पकककर दाना गिरने का अंदेशा बना हुआ है। सरकारी अमले को समझ में आ रहा है कि बड़े पैमाने पर फसलों की नुकसानी हुई है। सही तरीके से फसल बीमा को लेकर काम किया गया तो ठीक नहीं तो किसानों के आक्रोश को झेलना बहुत मुश्किल होगा। इसको लेकर कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव ने कल शाम को सभी एसडीओ को बैठक बुलाई थी। एक-एक से फसल कटाई प्रयोग की जानकारी ली गई। ये समझने का प्रयास किया गया कि फसल बीमा को लेकर अफसर कितने सतर्क हैं। सामने आए आंकड़े के हिसाब से 95 प्रतिशत फसल कटाई प्रयोग हो चुका है। इसमें एक हलके में छह जगह पांच बाय पांच क्षेत्र की फसल कटाई होती है जिसमें से चार जगह पटवारी तो दो कृषि विभाग कराता है।
कटाई के बाद 15 दिन उसे सुखाया जाता है और बाद में दानों की वजन किया जाता है। एक हेक्टेयर में 14 क्ंिवटल 30 किलो आना चाहिए। इससे कम आती है तो उसे नुकसान माना जाता है। जाटव ने उन एसडीओ को प्रयोग पूरा करने के निर्देश दिए। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में प्रभावशाली लोगों से संपर्क में रहने के भी निर्देश दिए गए ताकि प्रशासन पर उनका विश्वास बना रहे।
देपालपुर में सबसे ज्यादा नुकसानी गौरतलब है कि इंदौर जिले के देपालपुर व हातोद तहसील में सबसे ज्यादा फसलों की नुकसानी हुई है। यहां पर बरसात ६६ इंच के करीब हुई। यहां पर कई जगहों पर खेत में पानी भरा है। फसल को काटने की समस्या है। वहीं, महू में जमीन के समतल ना होने पर नुकसानी कम होने का अंदाजा लगाया जा रहा है।