यहां जिक्र हो रहा महिला टीआई ममता कामले का। पुलिस की वर्दी में होकर भी ममता कामले हज पर जाने वाले यात्रियों पर अपनी ममता लुटाने में कसर नहीं छोड़ती। हज पर जाने वाले हज यात्री ही नहीं, बल्कि उनके परिजन भी इस कर्तव्यनिष्ष्ठ महिला पुलिस अफसर का काम देखकर गर्व महसूस करते हैं। बकौल ममता, मुझे खुदा के बंदों की खिदमत करने का मौका मिल रहा है, यही मेरे लिए पुण्य है।
पासपोर्ट तलाशने से जरूरी सामान दिलाने में मदद
कई बार पासपोर्ट और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज न होने से यात्रा में रुकावट आ जाती है। इसके चलते वे उदास हो जाते हैं। हज यात्रा उनकी जिंदगी का बड़ा मकसद होता है, ऐसे समय में उन्हें कानून-कायदे बताने के बजाय किस तरह मदद की जा सकती है, ये काम ममता करती हैं। उन्हें समझाने से लेकर गुम हुए सामान को खुद तलाशने, पुलिसकर्मियों से मदद दिलवाने, बैग संभालने जैसे काम भी उनकी मदद से हो जाते हैं। कई बार ऐसे मौके आए कि यात्रियों को लगा कि अब वे हज पर नहीं जा पाएंगे, लेकिन उन मौकों पर ममता की तत्परता ने निराश होने से बचा लिया।
दूसरे साल दिखे तो खुशी हुई
कुछेक बार ऐसा भी हुआ कि बोर्डिंग पास गुम होने से यात्री हज पर नहीं जा सके। वे लोग हताश होकर एयरपोर्ट पर बैठ गए। ऐसे समय ममता ने उन्हें दिलासा दिया कि आपकी बारी भी आएगी। अगले वर्ष एयरपोर्ट पर वही यात्री मिले तो वे ममता को देखकर खुश हो गए। पुलिस टीम भी बहुत प्रसन्न हुई।
टीम बदली, ममता नहीं
इंदौर एयरपोर्ट के पुराने टर्मिनल से हाजियों के लिए फ्लाइट जाती है। इस बार भी करीब १८०० लोग हज यात्रा पर गए हैं। इमिग्रेशन के लिए (पासपोर्ट और वीजा चेकिंग) पुलिस विभाग की टीम तैनात रहती है और सीआईएसएफ, कस्टम, डॉक्टर्स और हज कमेटी के लोग भी रहते हैं। पुलिस की बाकी टीम हर साल बदल जाती है, पर इमिग्रेशन ऑफिसर की ड्यूटी के लिए ममता कामले का ही चयन किया जाता है।
फैक्ट फाइल:
-१४ से १९ अगस्त तक इंदौर से गए हज यात्री
-इस वर्ष करीब १८०० हाजियों की हुई रवानगी
-२७ सितंबर को इंदौर लौटेंगे यात्री
-केवल इंदौर और भोपाल से ही जाते हैं हज यात्री
-इस बार पुलिस विभाग से करीब १४ लोगों की बनी थी टीम