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सख्ती के बाद अस्पताल बता रहे सरकारी डॉक्टर आते हैं या नहीं

locationइंदौरPublished: May 21, 2019 11:14:27 am

Submitted by:

Lakhan Sharma

– अस्पताल नहीं दे रहे थे जानकारी

Govt doctors to hold demonstrations in June over NEET, PG quota issue

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इंदौर।
शहर में स्थित निजी अस्पतालों में सरकारी डॉक्टर मरीजों को देखने आते हैं या नहीं यह जानकारी प्रबंधन को स्वास्थ विभाग को देना है । बावजूद इसके अस्पताल स्वास्थ्य विभाग को यह जानकारी नहीं देते थे । पिछले दिनों न्यूज़ टुडे द्वारा इस मामले को गंभीरता से उठाया गया जिसके बाद सीएमएचओ ने एक बार फिर अस्पताल प्रबंधन पर सख्ती की थी। अब अस्पतालों ने अपने यहां आने वाले डॉक्टरों की जानकारी भेजना शुरू कर दिया है । शासन के नियम है कि अस्पतालों को अनिवार्य रूप से यह जानकारी देना है कि उनके यहां सरकारी डॉक्टर या पैरामेडिकल स्टाफ काम तो नहीं कर रहे हैं। जो सरकारी डॉक्टर उनके यहां प्रैक्टिस करने आ रहे हैं उनकी भी जानकारी देना है।
दरअसल स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग के कई डॉक्टर शहर के निजी अस्पतालों में प्रैक्टिस के लिए जाते हैं । इनमें मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों को तो प्रेक्टिस की अनुमति सरकार ने दे रखी है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों को इस पर पाबंदी लगा रही है । बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग के भी कई डॉक्टर शासन को गुमराह कर निजी अस्पतालों में प्रैक्टिस करते हैं। ऐसे में 2017 में तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. एचएन नायक ने सभी अस्पताल प्रबंधन को पत्र जारी करते हुए अपने यहां मरीजों को देखने आने वाले डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की जानकारी मांगी थी। आदेश में कहा गया था कि अगर किसी अस्पताल में सरकारी डॉक्टर या अन्य स्टाफ भी आता हो तो उसकी जानकारी दी जाए। लेकिन शहर के एक भी अस्पताल में इस तरह की जानकारी पिछले 2 माह तक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को नहीं दी थी। जबकि शहर में 50 से अधिक अस्पतालों में चिकित्सा शिक्षा विभाग और स्वास्थ विभाग के डॉक्टर मरीजों को देखने जाते हैं। नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ यहां ओवरटाइम करता है। इस मामले को न्यूज टुडे ने प्रमुखता से उठाया था जिसके बाद छात्र नेता अभिजीत पांडे ने इसकी लिखित शिकायत सीएमएचओ को की थी। कहना था कि अस्पतालों में सरकारी डॉक्टरों के जाने के बावजूद जब अस्पताल सीएमएचओ को जानकारी नहीं दे रहे हैं तो ऐसे अस्पतालों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। इसके बाद सीएमएचओ डॉ प्रवीण जड़िया ने एक बार फिर अस्पताल प्रबंधन को चेताया और कार्रवाई की बात कही। जिसके बाद अब अस्पतालों से यह जानकारी मिलने लगी है कि उनके यहां कितने डॉक्टर काम कर रहे हैं उनमें से कितने सरकारी हैं और कितने प्राइवेट डॉक्टर हैं।
– पकड़ आने पर बोलते थे झूठ

दरअसल अस्पताल मालिकों ने कार्रवाई से बचने के लिए झूठ का सहारा लेना शुरू कर दिया था। जब भी किसी सरकारी डॉक्टर के निजी अस्पताल में प्रैक्टिस करने की शिकायत मिलती तो सीएमएचओ की तरफ से अस्पताल को नोटिस जारी कर दिया जाता। जवाब में अस्पताल प्रबंधन यह कह देते कि हमें उस डॉक्टर ने नहीं बताया था कि वह सरकारी डॉक्टर है या प्राइवेट। इसलिए हम स्वास्थ्य विभाग को जानकारी नहीं दे पा रहे थे। ऐसे में अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से मांगा है कि अगर सरकारी डॉक्टर नहीं भी आ रहे हैं तो लिखित में दें कि हमारे यहां कोई भी सरकारी डॉक्टर या स्टाफ कार्यरत नहीं है। ऐसे में अब किसी अस्पताल में सरकारी डॉक्टर के प्रैक्टिस करने की शिकायत मिलती है तो अस्पताल के ऊपर कार्रवाई तय है । पिछले दिनों शहर के एक बड़े अस्पताल में ऐसा ही मामला सामने आ चुका है। एमवाय अस्पताल के एक डॉक्टर के ऊपर लापरवाही के आरोप लगे थे और शिकायत चिकित्सा शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग को की गई थी। इस मामले में जांच में भी सामने आया था कि उत्तर डॉक्टर ने निजी अस्पताल में इलाज किया था लेकिन स्वास्थ्य विभाग को अस्पताल ने इसकी जानकारी नहीं दी।
जानकारी नहीं दी तो होगी कार्रवाई

हमने अस्पताल प्रबंधन को आखरी चेतावनी देते हुए कार्यरत डॉक्टरों की जानकारी मांगी है । जो अस्पताल प्रबंधन झूठी जानकारी देंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी । हमारे पास अस्पतालों से जानकारी आना शुरू हो गई है।
डॉ. प्रवीण जड़िया सीएमएचओ

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