पत्रिका नेटवर्क
इंदौर. अपनी लापरवाहियों के लिए मशहूर प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में व्यव्स्थाएं सुधरने का नाम नही ले रही है । बात चाहे ऑक्सीजन की जगह बेहोशी की गैस सप्लाए करने की हो या आई.सी.यू. में आग लगने की जिम्मेदारो के पास कोई जवाब नही है। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमवाय में पिछले साल नवंबर में नवजात बच्चों के आईसीयू में आग लगने की घटना को लेकर हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव एसके अवस्थी की युगल पीठ ने याचिकाकर्ता का आवेदन स्वीकार कर लिया, जिसमें शासन से घटना के वक्त अस्पताल के पास फायर एनओसी थी या नहीं इसकी जानकारी मांगी है। कोर्ट ने शासन को आदेश दिए हैं कि यदि उस समय फायर एनओसी थी तो दो सप्ताह बाद अगली सुनवाई में उसे पेश किया जाए।
कोर्ट ने सीएमएचओ और पीडब्ल्यूडी के जिम्मेदारों को याचिका में पक्षकार बनाने की मांग की मांग भी स्वीकार कर ली है। एडवोकेट शन्नो शगुफ्ता खान ने यह याचिका दायर की है। याचिका में संशोधन के लिए लगाया गया आवेदन भी कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। मालूम हो, नवंबर में एमवाय के नवजात बच्चों के वार्ड में आग से ४७ बच्चे प्रभावित हुए थे। वेंटिलेटर में आग लगने के बाद फैली थी। बाहर निकलने का रास्ता ठीक नहीं होने से खिड़कियों के कांच फोडक़र बच्चों को बाहर निकाला गया था। बच्चों के साथ प्रसूताओं को भी काफी परेशानी का सामना करा पड़ा था। याचिका में प्रभावितों को 10-10 लाख रुपए देने की मांग की गई है। ज्ञात हो कि आग लगने से नन्हे मासूमो की जान पर बन आई थी।
जिला अस्पताल में मना बेटी जन्मोत्सव
इंदौर. धार रोड स्थित शा. जिला अस्पताल में कर्मवीर स्वामी विवेकानंद ट्रस्ट एवं बंजारा जनविकास सेवा समिति द्वारा बेटी जन्मोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर मिठाई वितरित की गई।
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