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शरियत को लेकर हाई कोर्ट बड़ा आदेश

locationइंदौरPublished: Jan 27, 2022 11:33:54 am

शरीयत के आधार पर लिए गए फैसलों को कानूनी मान्यता नहीं : हाई
कोर्ट की टिप्पणी: तलाक से जुड़े मामलों में काजी समझौतों के लिए समझाइश दे सकते हैं, लेकिन कोर्ट की तरह फैसला नहीं सुना सकते।
 

शरियत को लेकर हाई कोर्ट बड़ा आदेश

शरियत को लेकर हाई कोर्ट बड़ा आदेश

– जनहित याचिका पर कोर्ट का फैसला

इंदौर. मुस्लिम समाज में विवाह सहित अन्य मामलों के निराकरण के लिए शरीयत के आधार पर लिए गए फैसलों को कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती है। दो पक्षों में सुलह-समझौते के लिए काजी समझाइश दे सकते हैं, लेकिन उनके फैसलों को कानूनी बाध्यता के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। शरीयत के आधार पर लिए गए फैसलों को लेकर हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर यह आदेश दिए गए हंै। कोर्ट ने याचिका निराकृत करते हुए पूर्व में इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का भी उल्लेख किया। जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस राजेंद्र कुमार वर्मा की युगल पीठ ने 2018 से विचाराधीन याचिका पर फैसला सुनाया है। एडवोकेट हरीश शर्मा और संजय के. पाराशर ने बताया कि खजराना निवासी आदिल पलवाला ने पत्नी से विवाद के बीच छावनी मस्जिद के काजी द्वारा दिए गए निर्णय को लेकर हाई कोर्ट मेें याचिका दायर की थी। आदिल की पत्नी ने काजी के समक्ष पारिवारिक विवाद से जुड़ा आवेदन दिया था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद काजी ने भरण-पोषण तय करने के साथ ही दोनों पक्षों को कोर्ट में चल रहा मुकदमा वापस लेने के निर्देश दिए थे और शरीयत के तहत दिए गए फैसले को मानने को कहा था। काजी के इस निर्देश के खिलाफ आदिल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने माना कि समानांतर अदालत नहीं चलाई जा सकती है।
कोर्ट की टिप्पणी: तलाक से जुड़े मामलों में काजी समझौतों के लिए समझाइश दे सकते हैं, लेकिन कोर्ट की तरह फैसला नहीं सुना सकते।

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