मामला उज्जैन के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के निधन के बाद उसके छोटे बेटे को अनुकंपा नियुक्ति देने का है। सीनियर एडवोकेट एके सेठी के मुताबिक, कर्मचारी का बड़ा बेटे सेना में है। इसके बावजूद छोटे बेटे ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। एकल पीठ अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन पर विचार करने का आदेश दिया थ। इस आदेश को राज्य सरकार ने युगल पीठ के समक्ष चुनौती दी थी, जिसे खारिज कर दिया गया।
एकल पीठ का फैसला परिवार ने हाई कोर्ट की एकल पीठ के समक्ष कहा, बड़ा बेटा जो सेना में है, वह परिवार से अलग पत्नी और बच्चों के साथ रहता था है। उसकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि पिता के परिवार को आर्थिक मदद दे सके। इस पर एकल पीठ ने छोटे बेटे को नौकरी देने पर विचार करने के आदेश दिए थे।
यह है मामला उज्जैन कलेक्टर कार्यालय में कार्यरत चपरासी का दिल का दौरा आने से मौत हो गई। इसके बाद छोटे बेटे ने अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन दिया, क्योंकि वह पिता की आय पर निर्भर था। शैक्षणिक योग्यता के आधार पर नौकरी के लिए पात्र था। आवेदन के साथ उसने बड़े भाई का हलफनामा भी दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि वह भारतीय सेना में है, लेकिन परिवार को आर्थिक रूप से सहारा देने की स्थिति में नहीं है। वह पत्नी के साथ अलग रह रहा है। इसलिए अनुकंपा नियुक्ति दी जाए, लेकिन सरकार ने उस नियम का हवाला देकर आवेदन खारिज कर दिया कि परिवार का एक सदस्य सरकारी नौकरी में हो तो दूसरे को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती।