court : पति-पत्नी की लड़ाई में बच्चों की कस्टडी पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
court : जुड़वा बच्चों की कस्टडी लेने को लेकर हाई कोर्ट ने खारिज की मां की अपील
इंदौर
Published: March 05, 2022 04:04:17 pm
court : इंदौर. पति-पत्नी के बीच पारिवारिक विवाद के बीच बच्चों की कस्टडी से जुड़ी याचिका में इंदौर हाई कोर्ट ने एक अहम आदेश दिया है। कोर्ट ने माना कि 16 साल का बच्चा माता या पिता के साथ रहने को लेकर अपना फैसला लेने के लिए सक्षम होता है, ऐसी स्थिति में उसके नाबालिग होने के बाद भी उसकी इच्छा के अनुसार उसे अपने माता या पिता के साथ रहने का अधिकार दिया जाना चाहिए। 16 वर्ष के जुड़वा बेटों को अपने साथ रखने को लेकर जबलपुर में रहने वाली मां ने रिट अपील दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। केस में हाई कोर्ट की एकल पीठ ने बच्चों से अलग से बात की थी और दोनों ने राजगढ़ निवासी पिता के साथ रहने की इच्छा जाहिर की थी।जस्टिस सुबोध अभ्यंकर और सत्येंद्र कुमार सिंह की युगल पीठ के समक्ष जानकारी दी गई कि पारिवारिक विवाद के चलते पति-पत्नी अलग-अलग रह रहे हैं। दोनों के 16 साल के दो जुड़वा बेटे हैं। बच्चों की कस्टडी के लिए पहले पति ने एसडीएम कोर्ट में वाद दायर किया था। जिसे स्वीकार कर बच्चों की कस्टडी पिता को सौंप दी गई थी। इस फैसले को मां ने हाई कोर्ट की एकल पीठ में चुनौती दी थी। कोर्ट ने दोनों बच्चों से अलग से बात की। इसके बाद कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले में आंशिक संशोधन कर बच्चों को यह आजादी दी कि वे अपनी इच्छा अनुसार माता या पिता के साथ रह सकते हैं। इसके बाद बच्चे पिता के साथ ही रहने लगे। उक्त फैसले को मां ने फिर युगल पीठ में रिट अपील के माध्यम से चुनौती दी थी जिसे खारिज कर दिया गया है और नाबालिग होने के बावजूद 16 साल के बच्चों की इच्छा के अनुरूप उन्हें पिता के साथ रखने के आदेश दिए हैं।

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