इंदौर में गुजराती कॉलेज, विशिष्ट कॉलेज, अरिहंत कॉलेज, जैन दिवाकर कॉलेज, रेनेसां कॉलेज, इस्बा कॉलेज, सॉफ्टविजन कॉलेज, अक्षय एकेडमी सहित 37 कॉलेजों के पास अल्पसंख्यक का दर्जा है। पिछले साल तक इन कॉलेजों को काउंसलिंग से मुक्त रखा जाता था। इस बार विभाग ने इन्हें काउंसलिंग में शामिल करने के साथ ही वहां सीट अलॉटमेंट के लिए 1:1 का फॉर्मूला लगाया है।
इसके तहत एक सीट उस समुदाय के विद्यार्थी को अलॉट की जाती, जिससे कॉलेज ने अल्पसंख्यक का दर्जा हासिल किया और दूसरी सीट अन्य समुदाय के विद्यार्थियों को मिलती। इस फॉर्मूले के कारण ऑनलाइन काउंसलिंग के पहले चरण में ही कई छात्रों को अलॉटमेंट नहीं मिल सकें। दूसरी ओर कॉलेजों को भी कम सीटें अलॉट हुईं। अल्पसंख्यक महाविद्यालय संघ ने बीते दिनों उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव से मिलकर ये फॉर्मूला हटाने की मांग की। पूर्व कुलपति प्रो. नरेंद्र धाकड़ ने मंत्री को अल्पसंख्यक मार्गदर्शी सिद्धांत एवं प्रक्रिया 2007 के बिंदु क्रमांक 02 का हवाला देते हुए बताया था कि अल्पसंख्यक कॉलेज किसी भी गैर अल्पसंख्यक विद्यार्थी को प्रवेश के लिए मना नहीं कर सकते।

आभार मानने उज्जैन पहुंचे प्राचार्य
अल्पसंख्यक कॉलेजों की मांग पूरी होने पर कॉलेज प्राचार्यों के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को उज्जैन पहुंचकर मंत्री मोहन यादव का आभार माना। इनमें प्रो. नरेंद्र धाकड़, प्रो. अनस इकबाल सहित कई प्राचार्य शामिल थे। धाकड़ ने बताया, सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला लिया है। हमें पूरा भरोसा है कि इस सत्र में प्रदेश में सर्वाधिक दाखिले होंगे।