विशेष श्रृंगार, महाआरती और महाभोग होता है अर्पित महंत मोनू गिरि ने बताया कि गुलरेश्वर महादेव (Gulareshwar Mahadev) मंदिर का निर्माण होलकरकालीन है। वर्ष 26 नवंबर 1953 में इसका जीर्णोद्धार ब्रह्मलीन महंत गजेंद्रगिरि ने करवाया था। मंदिर में राम दरबार, राधाकृष्ण, शिव दरबार, की स्थापना की गई है। इसके बाद से हर वर्ष 26 नवंबर को गुलरेश्वर महादेव (Gulareshwar Mahadev) मंदिर का स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन विशेष श्रृंगार, महाआरती और महाभोग अर्पित किया जाता है।
सुबह से लेकर रात तक लगा रहता है भक्तों का तांता व्यापारिक क्षेत्र होने के बावजूद मंदिर में सुबह से लेकर रात तक भक्तों का तांता लगा रहता है। मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु की मनोकामनाएं भी पूरी होती है। क्षेत्र के कई व्यापारी रोजाना इस मंदिर में धोक-पूजन के बाद ही अपने व्यापार की शुरुआत करते हैं। गुलरेश्वर महादेव (Gulareshwar Mahadev) मंदिर को लेकर एक खास बात यह भी है कि यहां पर एक साथ कई देवाओं के दर्शन के साथ ही महादेव का अभिषेक भक्त खुद कर सकते हैं।
यह है मंदिर की खासियत इस मंदिर में हर सावन सोमवार पर गुलरेश्वर महादेव (Gulareshwar Mahadev) का श्रृंगार व अभिषेक किया जाता है। इसके अलावा मंदिर में होने वाले अन्य आयोजनों में हनुमान जयंती, श्रीगणेश स्थापना व शिवरात्रि त्योहार मनाए जाते हैं। अधिक मास पर या अन्य किसी विशेष अवसर पर कथाओं का आयोजन किया जाता है। गणेश चतुर्थी पर दस दिनों तक रोजाना भोजन प्रसादी बांटते है। जन्माष्टमी पर मंदिर में श्रृंगार कर माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है।