याचिकाकर्ता की ओर से आपत्ति ली गई थी कि बार-बार एसआइटी बदलने से जांच प्रभावित हो सकती है और उसकी निष्पक्षता पर भी सवाल उठेंगे, इसलिए जांच सीबीआई को सौंपी जाना चाहिए। याचिका पर अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी। कोर्ट ने एसआइटी में हो रहे बदलाव को लेकर बिंदुवार रिपोर्ट और कारण भी बताने को कहा है
इंदौर हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस देकर पूछा था कि क्यों न हाईप्रोफाइल हनी ट्रैप मामले की जांच सीबीआइ से कराई जाए। जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस शैलेन्द्र शुक्ला की युगल पीठ ने इस सबंध में भोपाल के सामाजिक कार्यकर्ता शिरीष मिश्रा की याचिका पर सुनवाई के बाद गृह विभाग, एसआइटी प्रमुख और एसएसपी सहित सात जिम्मेदारों को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब तलब किया था।
दो दिन बाद भी एक्शन में नहीं आई एसआइटी मामले में मंगलवार को दूसरी बार एसआइटी में शामिल अफसरों को बदला गया। नई एसआइटी का जिम्मा डीजी साइबर क्राइम राजेंद्र कुमार को सौंपा है। फिलहाल वे संचालक लोक अभियोजन है। इससे रिलीव होकर नई पदस्थापना उन्होंने ज्वाइन नहीं की है। उनके अलावा एडीजी साइबर क्राइम मिलिंद कानस्कर व एसएसपी इंदौर रुचिवर्धन मिश्र को सदस्य बनाया है। एसआइटी में अन्य अफसरों को भी ये शामिल कर सकेंगे। नई एसआइटी बने दो दिन बीत जाने के बाद भी कोई हलचल नहीं नजर आ रही। हाईप्रोफाइल मामला होने से लोग भी जानना चाहते है कि जांच अब किस दिशा में आगे जाएगी। एसआइटी प्रभारी के रुप में डीजी राजेंद्र कुमार इंदौर भी आ सकते है। आरोपी फिलहाल जेल में है। वही भोपाल में दर्ज मानव तस्करी मामले में भी उनसे पूछताछ होना है। ऐसे में संभावना है कि इस मामले में रिमांड पर लेकर उनसे नई एसआइटी पूछताछ कर सकती है।