– ब्लैकमेलिंग गिरोह में शामिल है रूपा, पुलिस ने शुरू की तलाश – मूल रूप से रहने वाली है छतरपुर की, अभी भोपाल में है निवासरत
HoneyTrap : आरती की एक ‘सहेली’ रूपा भी है गिरोह की सदस्य ! होटल में मिला आधार कार्ड
इंदौर. मध्यप्रदेश के बहुचर्चित हनीट्रैप मामले में पकड़ा गई आरोपी आरती दयाल, मोनिका उर्फ सीमा, श्वेता स्वप्निल जैन, श्वेता विजय जैन, बरखा अमित सोनी के बाद एक अन्य युवती रूपा के भी गिरोह में शामिल होने की बात सामने आई है।
must read : आरती बोली- मैं गर्भवती हूं, सोनोग्राफी में कुछ नहीं निकला, पुलिस धक्के मारकर ले गई थाने शहर के होटल इन्फिनिटी से जब पुलिस ने जानकारी ली तो वहां आरती, सीमा उर्फ मोनिका के साथ ही रूपा का आधार कार्ड भी मिला था। आरती उसे अपने सहेली बता रही है लेकिन पुलिस जांच में पता चला है कि वह भी इस गिरोह में शामिल है। एएसपी अमरेंद्रसिंह के मुताबिक, रूपा मूल रूप से छतरपुर की है लेकिन इस समय भोपाल में रहती है और आरती की सहयोगी है। उसकी भूमिका भी सामने आई है जिसके बाद उसकी तलाश में टीम लग गई है। उसे भी आरोपी बनाने की तैयारी है।
must read : ‘शिवराज सरकार में अधिकारी और नेता महिलाओं के मायाजाल में फंसकर करते थे भ्रष्टाचार’मोनिका बोली, आरती ने किया फर्जीवाड़ा आरती के साथ जुड़़ी मोनिका ने भी कई जगह फर्जीवाड़े किए। वह जब भी किसी से मिलती तो अपना अलग नाम बताती ताकि सच्चाई सामने न आए। हरभजन सिंह से वह सीमा सोनी बनकर मिली थी। कई जगह सीमा यादव नाम बताया। हालांकि नाम बदलने के मामले में मोनिका चुप हो जाती है। इतना जरूर कहती है कि फर्जी आधार कार्ड आरती ने बनाया।
must read : हरभजन सिंह बोले- मुझे युवतियों ने पर्सनल फोटो भेजकर उकसाया, भाई का SMS- आरती को प्लीज छुड़वा दोयुवतियों ने बताया, कैसे बनाया वीडियो पुलिस अफसरों के सामने युवतियों ने वीडियो किस तरह बनाया जाता है इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि होटल के रूम में फरियादी के आने के पहले मोबाइल चार्ज पर लगा देते थे। स्पाय कैमरा अथवा सॉफ्टवेयर इस तरह से रखा जाता था कि किसी को शंका न हो। मोबाइल चार्जिंग पर लगे होने से भी कोई ध्यान नहीं देता और वीडियो बन जाता था।
पुलिस ने 2016 में उठाया था श्वेता को, ऊपर से फोन आया तो कुछ ही घंटों में छोडऩा पड़ा हनी ट्रैप के हाईप्रोफाइल खेल की जानकारी पुलिस को तीन साल से थी। श्वेता विजय जैन ने 2016 में एक एडीजी रैंक के अधिकारी को अपने जाल में फंसा लिया था। गाड़ी, बंगले के रूप में लगभग तीन करोड़ रुपए ऐंठने के बाद भी जब उसका शिकंजा नहीं हटा तो आला अधिकारी के इशारे पर एटीएस ने श्वेता को उठा लिया, लेकिन तभी बेहद उच्च स्तर से ऐसा दबाव आया कि श्वेता को छोडऩा पड़ा। उसी समय पुलिस ने सागर से लेकर भोपाल तक की कुंडली खंगाल ली थी।