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गोल्डन गेट हादसा : बैंक लोन के चुकाना है 7.28 करोड़, जारी हो चुके थे कुर्की के आदेश

locationइंदौरPublished: Oct 22, 2019 02:23:12 pm

आग लगने के कारणों की पुलिस कर रही जांच

गोल्डन गेट हादसा : बैंक लोन के चुकाना है 7.28 करोड़, जारी हो चुके थे कुर्की के आदेश

गोल्डन गेट हादसा : बैंक लोन के चुकाना है 7.28 करोड़, जारी हो चुके थे कुर्की के आदेश

इंदौर. विजय नगर में होटल गोल्डन गेट हादसा के कारणों की अब पुलिस जांच कर रही है। अफसरों को शंका है कि किसी की लापरवाही भी इस हादसे का कारण हो सकती है। इधर ये बात भी पता चली है कि होटल गोल्डन गेट बहुत घाटे में था। यहां तक कि बैंक ने होटल पर 7 करोड़ 28 लाख 17 हजार 775 रुपए की वसूली निकाली थी।
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राशि नहीं चुकाने पर मुंबई की वित्तीय कंपनी कैपिटल फस्र्ट लिमिटेड ने होटल पर कब्जे की सूचना जारी कर कलेक्टर (डीएम) कोर्ट में होटल कुर्क करने की मंजूरी के लिए होटल प्रबंधक चंद्रशेखर सिंह, प्रभा सिंह और ठाकुर सरदार सिंह के खिलाफ केस दायर किया था। सुनवाई के बाद सवा माह पहले ही कोर्ट ने होटल कुर्की के आदेश जारी किए थे। आदेश के तहत संबंधित एसडीएम को होटल का कब्जा बैंक को सौंपना था। बताया जा रहा है आदेश के खिलाफ होटल प्रबंधन ने डीआरटी में अपील की है, जिसके चलते कुर्की नहीं हो पाई।
गोल्डन गेट हादसा : बैंक लोन के चुकाना है 7.28 करोड़, जारी हो चुके थे कुर्की के आदेश
यह है पूरा मामला : तकनीकी फॉल्ट के साथ मानवीय भूल की भी जांच

गोल्डल गेट होटल में कल आग लग गई थी। फायर ब्रिगेड के दल ने आग पर काबू पा लिया, लेकिन होटल बुरी तरह से जल गया है। इस हादसे का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में पता चला है कि सुबह पहले धुआं निकल रहा था। इसके बाद अचानक से तेज लपटें उठने लगीं और होटल को अपनी चपेट में लिया। अफसरों की मानें तो जिस तरह से लपटें उठ रही थीं उससे इस बात की आशंका व्यक्त की जा रही है कि कोई वस्तु ईंधन का काम कर रही थी। इस हादसे के पीछे तकनीकी फॉल्ट के साथ ही मानवीय भूल भी हो सकती है। टीआई विजय नगर तहजीब काजी ने बताया कि इस मामले में जांच की जा रही है। पुलिस पता लगा रही है कि तकनीकी कारण रहा है या फिर किसी की लापरवाही से यह हादसा हुआ है।
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केवल रह गई है जमीन की कीमत

जानकारों का कहना है कि हादसे के बाद बंधक संपत्ति में निर्माण की कोई कीमत नहीं मिलेगी, अब केवल जमीन की कीमत रह गई है। यानी होटल बेचकर भी बैंक लोन की पूरी वसूली नहीं कर पाएगा। दूसरी ओर होटल प्रबंधन को कोई मुआवजा मिलता है तो संपत्ति बंधक होने के चलते पहला अधिकार भी बैंक का होगा।
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