सरकार का फैसला समझ से परे गृहिणी पारुल बिलाला का कहना है, आमदनी की तुलना में महंगाई कई गुना तेजी से बढ़ रही है। 25 किलो या इससे अधिक का कोई सामान खरीदने पर जीएसटी (GST) से छूट है। समझ नहीं आ रहा कि एक पैकिंग में कोई इतना सामान खरीदकर क्या करेगा? सरकार का यह फैसला समझ से परे है।
खुले प्रोडक्ट पर छूट पर मिलावट का डर हालांकि, जीएसटी (GST) सिर्फ पैक्ड फूड पर ही प्रभावी है। यानी खुले अनाज, तेल, मसाले, दाल, दलहन, चावल, गेहूं को जीएसटी से छूट दी गई है। मौजूदा दौर में 70 फीसदी से अधिक बाजार पैक्ड फूड का ही है। खुले प्रोडक्ट में मिलावट की आशंका बनी रहती है।
महंगाई पर नियंत्रण जरूरी पेट्रोल-डीजल के साथ जीवन यापन भी महंगा होता जा रहा है। खाद्य पदार्थों पर जीएसटी (GST) लगाकर सरकार ने और महंगाई बढ़ा दी। कम से कम रसोई में इस्तेमाल होने वाले सामान में पर तो महंगाई का असर नहीं पड़ना चाहिए।
- मीना विनायका, गृहिणी दाल, चावल, आटा, तेल, मसाले हर रसोई की जरूरत है। 5 फीसदी जीएसटी (GST) लगने के बाद से ही पैक्ड आइटम की कीमतें 10 फीसदी तक बढ़ गई हैं। सरकार को इस पर राहत दिलाने के लिए कदम उठाना चाहिए।
- सपना लुहाडिय़ा, गृहिणी अब तक रसोई का मासिक बजट 7 से 8 हजार रहता है। जीएसटी लगने के बाद खर्च 9 हजार रुपए महीना तक पहुंच जाएगा। यह महंगाई निश्चित रूप से कई घरों का बजट बिगाड़ेगी।
- उषा गंगवाल, गृहिणी ज्यादातर मध्यमवर्गीय घरों में अनब्रांडेड पैक्ड फूड ही इस्तेमाल होता रहा है। ब्रांडेड आइटम पर सरकार पहले ही जीएसटी ले रही है। कम से कम गैर-ब्रांडेड आइटम पर छूट जारी रखी जाना चाहिए थी।
- दीपिका बैद, शिक्षिका