हाथ से हाथ मिले और बदल गई तकदीर….
इंदौरPublished: Jun 20, 2018 10:57:38 am
हाउसिंग बोर्ड ने जिन्हें बताया था जर्जर, अब लगती हैं नई
रंग लाई रहवासियों की कोशिश, चमक रही है हर मल्टी
हाथ से हाथ मिले और बदल गई तकदीर….
इंदौर।
हाउसिंग बोर्ड ने एलआईजी चौराहे की जमीन हड़पने के लिए जिन इमारतों को जर्जर घोषित करवा दिया था, वे अब नई लगती हैं। जरा सी मेहनत और थोड़ा सा पैसा खर्च कर रहवासियों ने खुद ही इनका मैंटनेंस करवा लिया और अब कोई कह नहीं सकता कि ये इमारतें जर्जर भी हो सकती हैं।
हाउसिंग बोर्ड ने एलआईजी चौराहे की जमीन पर मल्टीस्टोरी प्रोजेक्ट लाने के लिए यहां की सभी इमारतों को जर्जर घोषित करवा दिया था। रहवासियों के विरोध के बाद प्रोजेक्ट तो खटाई में पड़़ा ही, बोर्ड इस बात का भी जवाब नहीं दे पाया कि इमारतों को जर्जर किस आधार पर घोषित किया गया है। इसके बाद रहवासियों ने तय किया कि इनकी बाहरी दशा वे खुद सुधारें, रंगरोगन करवाएंगे, जहां प्लास्टर उखड़ा है, ठीक करवाएंगे। शुुरुआत एक इमारत से हुई और इसके बाद देखते ही देखते सभी इमारतों में जनसहयोग से मैंटेनेंस वर्क शुरू हो गया। अब स्थिति यह है कि कुछ समय पहले तक जो इमारतें बाहर से देखने पर खराब नजर आती थीं, वे भी नई जैसी चमक रही हैं। जर्जर घोषित करने के लिए जिन मापदंड पर सर्वे किया जाता है, दोबारा होगा, तो कोई भी इन्हें जर्जर तो दूर बदहाल भी नहीं कह सकेगा।
शुल्क लेकर नहीं किया मैंटेनेंस
हाउसिंग बोर्ड की मंशा कभी इमारतों में सुधार करने की रही ही नहीं। बोर्ड ने 2014 तक मैंटनेंस चार्ज तो लिया है, लेकिन किसी भी इमारत में एक पैसे का काम नहीं करवाया। जब रहवासियों ने भी ध्यान नहीं दिया, पर जब घर छिनने की बारी आई तो रहवासी आगे आए। तीन महीने पहले सबसे पहले पी-ब्लॉक के रहवासियों ने 70 हजार का चंदा कर मैंटनेंस शुरू करवाया। इसके बाद अन्य ब्लॉक्स के रहवासियों ने भी यही किया।
धराशायी हुई परिवहन निगम की मल्टी
इस पूरे क्षेत्र में केवल एक ही इमारत पूरी तरह से जर्जर हो गई थी और वह थी परिवहन निगम को किराए पर दी गई इमारत। इसी इमारत को दिखाकर हाउसिंग बोर्ड ने नगर निगम से 12 अन्य इमारतों को जर्जर घोषित करवा लिया था। सरवटे बस स्टैंड के होटल के गिरने के बाद जर्जर इमारतों को तोडऩे का सिलसिला शुरू हुआ, उसमें परिवहन निगम की इमारत को भी धराशायी करने का फैसला लिया गया। करीब एक महीने तक इसे गिराने का काम चलता रहा। अब यह इमारत पूरी तरह जमींदोज हो चुकी है। मलबा समेटा जा रहा है।
जेडओ ने अब तक नहीं दिया खंडन पत्र
तीन महीने पहले विधायक महेंद्र हार्डिया ने रहवासियों के साथ बैठक ली, जिसमें जोनल अधिकारी उमेश पाटीदार को बुलाकर पूछा था कि बताओ कौन सी इमारत जर्जर है। पाटीदार ने गलती की माफी मांगी और कहा कि जर्जर घोषित करने संबंधी जो पत्र जारी किया, उसका संशोधित पत्र दे देंगे। पर अब तक ऐसा कोई पत्र रहवासियों को नहीं दिया गया।