टेलर की करामात, फर्जी दस्तावेजों से बेच दी 200 लग्जरी गाड़ियां, चंद दिनों में ही बन गया करोड़पति
टेलरिंग बंद कर शुरू की धोखेबाजी, फर्जी दस्तावेज से गाड़ी बेचने वाला रिमांड पर

इंदौर. मुंबई में पकड़ाए जालसाज को पूछताछ के लिए क्राइम ब्रांच इंदौर लाई है। इंदौर में टेलर की दुकान चलाने वाला आरोपी महाराष्ट्र पासिंग की गाड़ी कमीशन पर खरीदने बेचने लगा। व्यापार में घाटा हुआ तो फर्जी दस्तावेज बनाकर गड़बड़ी करने लगा। गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की तलाश क्राइम ब्रांच कर रही है।
डिसूजा टेलर नाम से दुकान थी
क्राइम ब्रांच की टीम मुंबई जेल से प्रोडक्शन वांरट पर संजय डिसूजा निवासी नासिक को लेकर आई है। पहले वह जवाहर मार्ग पर रहता था। यहां पर उसकी डिसूजा टेलर नाम से दुकान थी।
रिश्तेदार राजू चौहान निवासी महेश्वर से पता चला कि महाराष्ट्र में गाडिय़ों पर ज्यादा टैक्स लगता है तो मप्र पासिंग की गाडिय़ा वहां इस्तेमाल होती हैं। इसी के बाद वह कमीशन एजेंट के रूप में काम करने लगा।
गाडिय़ों के फर्जी दस्तावेज तैयार करता था
वर्ष 2000 में वह नासिक शिफ्ट हो गया। यहां पर करण ऑटो नाम से कमीशन एजेंट का काम शुरू किया। इंदौर में अपनी संपत्ति करीब सवा करोड़ रुपए में बेचकर परिवार व व्यापार में संजय ने लगा दी। व्यापार में घाटा हुआ तो नासिक का फ्लैट व महेश्वर की दुकानें 83 लाख रुपए में बेचीं।
इसी के बाद पम्मी सरदार के माध्यम से इरफान मंसूरी से संपर्क हुआ। उसने बताया कि गाडिय़ों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर उन्हें बेचने से काफी फायदा होगा। इस तरह उसका घाटा भी पूरा हो जाएगा।
पूरा एक गिरोह था
इसके बाद ये लोग गाड़ी फाइनेंस करवा कर उसके फर्जी दस्तावेज तैयार कर लेते। इसमें साथी अब्दुल गनी मदद करता। दस्तावेज उन्होंने आरटीओ ठाणे के नाम से बनवाए जो जांच में फर्जी निकले। संजय पर मुंबई में चार व नासिक में एक धोखाधड़ी का केस दर्ज है।
इनके साथ इंदौर के मो. रफीक, शहजाद, कल्लू खान, मुंबई निवासी मो. अली मंसूरी, अब्दुल कादर गनी फर्जीवाड़े में शामिल थे जिन्हें क्राइम ब्रांच गिरफ्तार कर चुकी है। एक साथी अजय वर्मा की फिलहाल तलाश है।
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