इंदौर

हुकुमचंद मिल की जमीन का मूल्यांकन फिर होगा, 6 साल में बढ़ने की जगह कम हुई आरक्षित राशि

मिल मजदूरों ने कोर्ट में प्रस्तुत किया आवेदन पत्र, अगली सुनवाई 31 को।

इंदौरJul 06, 2022 / 06:09 pm

shatrughan gupta

Hukumchand Mill land

इंदौर. हुकुमचंद मिल (Hukumchand Mill ) की जमीन की नीलामी प्रक्रिया में फिर अड़चन आ गई है। हाल ही में इस जमीन को बेचने के लिए डीआरटी ने जो अधिसूचना निकाली उसमें आरक्षित मूल्य 385 करोड़ रुपए रखा गया है। जबकि 6 साल पहले इसका मूल्य 400 करोड़ रुपए बताया था। हाईकोर्ट में मिल मजदूरों ने इसे लेकर आपत्ति दर्ज कराई। कोर्ट ने डीआरटी से पूछा कि आखिर 6 साल में मिल (Hukumchand Mill ) की जमीन की कीमत कम कैसे हो गई? अगली सुनवाई 13 जुलाई को होगी।
मालूम हो, डीआरटी (ऋण वसूली न्यायाधिकरण) को मिल की जमीन बेचने की प्रक्रिया 29 जुलाई तक निपटाना है। नीलामी में शामिल होने के लिए निविदाकर्ता को 39 करोड़ रुपए सुरक्षा निधि जमा करनी होगी। वे 15 जुलाई को जमीन का अवलोकन कर सकते हैं। इसके बाद 26 जुलाई तक ऑनलाइन प्रस्ताव जमा कराना होगा। बोली में वृद्धि दो करोड़ रुपए से कम की स्वीकार नहीं की जाएगी। हुकुमचंद मिल की जमीन बिकने में दिक्कत न आए इसलिए सरकार ने इसे आवासीय और व्यवसायिक में परिवर्तित कर दिया है। कई बार इसकी नीलामी के लिए प्रक्रिया हो चुकी है। 2016 में डीआरटी ने इस जमीन की आरक्षित कीमत 400 करोड़ रुपए बताई थी। इस अंतराल के बाद माना जा रहा था कि जमीन की कीमत में खासी बढ़ोतरी हो गई है। मगर, हाल ही में जारी विज्ञप्ति में जमीन का आरक्षित मूल्य 400 करोड़ रुपए से भी कम करते हुए 385 करोड़ रुपए बताया गया। मजदूरों की आपत्ति पर मंगलवार को जस्टिस सुबोध अभ्यंकर के समक्ष सुनवाई हुई। मजदूरों की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट धीरजसिंह पवार ने कोर्ट को बताया कि मूल्यांकन रिपोर्ट से स्पष्ट है कि डीआरटी ने यह मूल्यांकन दिसंबर 2021 में किया था। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट लिखा है कि यह मूल्यांकन सिर्फ 45 दिनों के लिए ही वैध है। इतना ही नहीं दिसंबर 2021 में हुआ मूल्यांकन बगैर जमीन की नपती के किया गया था। ऐसे में इसे वैध नहीं माना जा सकता। जमीन का आरक्षित मूल्य 385 करोड़ रुपए रखकर जमीन की नीलामी की गई तो मजदूरों का नुकसान हो जाएगा।
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