इंदौर

पत्नी को जिंदा जलाने वाले पति को आजीवन कारावास की सजा

– लसूडिय़ा पुलिस ने जुलाई २०१५ में दर्ज किया था प्रकरण
– बच्चे नहीं होते थे इसलिए रोज करता था विवाद

इंदौरOct 17, 2019 / 10:56 am

Lakhan Sharma

high court

लखन शर्मा इंदौर। पत्नी को बच्चे नहीं हो रहे थे तो पति रोज विवाद करता था। एक दिन विवाद बढ़ा तो उसने पत्नी को जिंदा जला दिया और भाग गया। चार दिन बाद इलाज के दौरान पत्नी की मृत्यु हो गई। उक्त मामले में जिला कोर्ट ने कल पति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा कि शादी के बाद पत्नी का पति पर विश्वास होता है, लेकिन पति ने विश्वास तोड़कर पत्नी को ही जलाकर मार दिया। इसलिए इसे माफ नहीं किया जा सकता।

अपर लोक अभियोजक उमेश यादव ने पीडि़ता की तरफ से पक्ष रखा था। यादव ने बताया कि जगदीश पिता रामगोपाल कुशवाह के खिलाफ लसूडिय़ा पुलिस ने 14 जुलाई 2015 को अपनी पत्नी को दहेज के लिए प्रताडि़त करने और जलाने के मामले में प्रकरण दर्ज किया था। 18 जुलाई 2015 को पत्नी राजकुमारी की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। आरोपित जगदीश ने पत्नी राजकुमारी को घासलेट डालकर जला दिया था। प्रकरण दर्ज हुआ तब से जगदीश जेल में ही बंद है। राजकुमारी ने मरने के पूर्व बयान दिए थे कि जगदीश से उसकी शादी 2006 में हुई थी। कोई बच्चा नहीं हो रहा था इसलिए पति जगदीश रोज प्रताडि़त करता था। 14 जुलाई को पति ने झगड़ा किया और जान से मारने की नीयत से घायलेट डाल कर आग लगा दी। प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस ने जानलेवा हमला और दहेज प्रताडऩा की दर्ज की, लेकिन 18 जुलाई को चार दिन बाद ही मौत हो जाने के बाद हत्या की धारा बढ़ा दी गई। इसके बाद पुलिस ने आरोपित जगदीश को 20 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया था। कोर्ट ने आरोपित पर लगी दहेज प्रताडऩा धारा के मामले में उसे दोषमुक्त कर दिया। वहीं हत्या के मामले में दोषी पाया।

– कोर्ट ने की विशेष टिप्पणी
यादव ने बताया कि कोर्ट ने सजा सुनाते हुए मामले में विशेष टिप्पणी भी की। कहना था कि पत्नी का पति के ऊपर शादी के उपरान्त पूर्ण विश्वास रहता है। उस विश्वास को कायम करने का कर्तव्य पति का रहता है। प्रकरण में अभियुक्त ने उस विश्वास को तोड़कर अपनी ही पत्नी को घासलेट डालकर जलाया और उसकी मृत्यु कारित की है। अत: अपराध की गंभीरता को देखते हुए जगदीश पिता रामगोपाल को धारा ३०२ भारतीय दंड संहिता में सश्रम आजीवन कारावास से दंडित किया जाता है और अभियुक्त पर ५ हजार रूपए का अर्थदंड भी अधिरोपित किया जाता है।

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