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टीसीएस-इंफोसिस के बदले में आईडीए को 165 हेक्टेयर जमीन

locationइंदौरPublished: Dec 13, 2018 10:39:53 am

Submitted by:

Mohit Panchal

शासन की मंजूरी, सीईओ ने लिखा कलेक्टर को पत्र, नैनोद व सुपर कॉरिडोर की सरकारी जमॉीन नाम करने को कहा

super corridor

टीसीएस-इंफोसिस के बदले में आईडीए को 165 हेक्टेयर जमीन

इंदौर। सरकार के आदेश पर आईडीए ने कौडिय़ों के दाम सुपर कॉरिडोर की जमीन टीसीएस और इंफोसिस को सौंप दी। आठ साल बाद उसके बदले आईडीए को नैनोद व कॉरिडोर से जुड़ी सरकारी जमीन मिलने जा रही है। शासन से मंजूरी के बाद आईडीए सीईओ ने जिला प्रशासन को सीमांकन कर कब्जा व रिकॉर्ड में नाम दर्ज करने को कहा।
इंदौर विकास प्राधिकरण ने सुपर कॉरिडोर का निर्माण कर इंदौर को नई ऊंचाई दी। विदेश की तर्ज पर बनी सड़क और आसपास के विकास को देखकर टीसीएस और इंफोसिस जैसी कम्पनी भी खुद को रोक नहीं पाई। आने की इच्छा जाहिर की तो शिवराज सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के जरिए कौडिय़ों के दाम उन्हें बेशकीमती जमीन सौंप दी। इस लेन-देन ने आईडीए के लिए मुसीबत खड़ी कर दी। जमीन के एवज में उसे मुंहमांगे दाम मिलना थे, लेकिन वह जमीन व गाइड लाइन के दाम को तरस गया।
आठ साल का यह संघर्ष अब सफल होता दिखाई दे रहा है। मध्यप्रदेश नगरीय विकास एवं आवास विभाग व सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने इस विषय के निराकरण को लेकर समिति बनाई थी, जिसने पिछले दिनों एक फैसला कर दिया। 5 अक्टूबर 2018 को आदेश जारी किया, उसमें टीसीएस व इंफोसिस लिमिटेड के लिए आईडीए द्वारा दी गई 65.280 हेक्टेयर विकसित जमीन की क्षतिपूर्ति अन्य सरकारी जमीन से होगी।
यहां मिलेगी जमीन
क्षतिपूर्ति के लिए ग्राम नैनोद की सरकारी कुल 95.467 हेक्टेयर व 21.143 हेक्टेयर जमीन योजना 166 के समाविष्ट की जाना तय हुई तो उसके अलावा योजना 169 (सुपर कॉरिडोर) में समाविष्ट शासकीय भूमि 48.953 हेक्टेयर भी शासन आईडीए को सौंपेगा। उस हिसाब से कुल 165.56 हेक्टेयर भूमि नि:शुल्क आवंटित की जाएगी।
सीमांकन व नामांकन होगा
आईडीए सीईओ कुमार पुरुषोत्तम ने कुल 165.56 हेक्टेयर जमीन सौंपने को कहा है। राजस्व रिकॉर्ड में नाम दर्ज करने के साथ जमीन का सीमांकन भी करने को कहा गया है। सीमांकन के बाद जिला प्रशासन बकायदा उसका कब्जा सौंपे।
ये काम जल्द से जल्द करने को कहा गया है ताकि आईडीए उसके विकास की योजना तैयार कर सके। ये जमीन मिलने से आईडीए को बहुत राहत मिल जाएगी। उसे मोटी कमाई हो सकती है, जिससे सुपर कॉरिडोर के आसपास तैयार होने वाली कॉलोनियों का विकास किया जा सकता है।
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