इस मामले में कमिश्नर और कलेक्टर दोनों ने ही चुप्पी साध रखी है, जबकि कलेक्टर ने ही मल्टी को अवैध करार देते हुए कुर्क करवाया था। इधर कमिश्नर, जो कि आईडीए चेयरमैन भी हैं, को भी इस तथ्य से अवगत करवाया जा चुका है कि जमीन योजना 53 (Scheme 53) का ही हिस्सा है और इसका कब्जा आईडीए ने 1990 में ही ले लिया था। इसके बाद भी आईडीए ने एनओसी (IDA NOC) दे दी। इधर राजस्व मंडल के आदेश के खिलाफ अब तक प्रशासन ने अपील नहीं की, यह भी हैरत में डालने वाला विषय है।
क्या है जमीन का किस्सा