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करनी थी नई योजना लागू, छोड़ते गए जमीन

locationइंदौरPublished: Oct 04, 2019 11:46:27 am

Submitted by:

Pawan Rathore

आईडीए अफसरों ने की थी बड़ी गलती, परदा डालने की कोशिशेंमामला योजना 53 और कालिंदी हाउसिंग सोसाइटी का

Ida Indore

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Indore News: IDA Indore News.

आईडीए की योजना 53 को 21 साल पहले हाईकोर्ट के आदेश पर खत्म कर दिया गया। आईडीए अफसरों ने न तो कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई और न ही इसकी जगह नई योजना लगाई। इतनी बड़ी गलती कर बैठे अफसरों के हाथ में न तो योजना रही और न ही जमीनें। अब इसी गलती को छिपाने के लिए हाउसिंग सोसाइटी के उस अनुबंध को ढाल बनाने की कोशिश कर रहे हैं, योजना खत्म होने के बाद जिसका कोई औचित्य ही नहीं बचा।
खजराना ग्राम की योजना 53 में शामिल रही जमीनों में से कालिंदी हाउसिंग सोसाइटी की 10 खसरा नंबरों की कुल 9.363 हेक्टेयर जमीन शामिल थी। संस्था सदस्य भूखंड मिलने के इंतजार में 21 साल से बैठे हैं, क्योंकि वर्ष 1998 में हाईकोर्ट ने योजना को खत्म किया था। इसके बाद कोर्ट का आदेश था कि चूंकि अतिक्रमण के चलते योजना मूल स्वरूप में नहीं रही तो यहां नई योजना लाई जा सकती है।
1998 में आए इस आदेश के तुरंत बाद आईडीए की बोर्ड बैठक हुई। इसमें तय किया गया कि सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का कोई औचित्य नहीं, इसलिए यहां नई योजना लाई जाएगी। इसके बाद कतिपय भूमाफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए आईडीए ने नई योजना भी लागू नहीं की। कई लोगों को जमीनें बांटी गईं, एनओसी जारी की गईं। इसके बाद आईडीए के पास यहां जमीन ही नहीं बची, सिवाय संस्था की जमीन के। यहां न तो नई योजना लाई गई और न ही संस्था की जमीन कागजों पर मुक्त की गई, क्योंकि जमीन का भौतिक कब्जा आज भी संस्था के पास ही है।
यह हुआ था आईडीए का संकल्प

1998 में हाईकोर्ट की डीबी के आदेश के बाद सितंबर, 1998 में बोर्ड बैठक हुई। इसमें संकल्प 327 पास किया गया। इस संकल्प में दो को छोडक़र सभी सदस्यों ने कहा कि प्रकरण की स्थिति को देखते हुए हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का कोई औचित्य नहीं। विधिक राय में एडवोकेट सतीशचंद्र बागडिय़ा ने भी यही कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अपील पेश करने का कोई लाभ नहीं होगा। इसके बाद बोर्ड ने फैसला लिया कि सुप्रीम कोर्ट में अपील न करते हुए हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए खाली जमीन पर नई योजना लाई जाएगी।
रेवड़ी की तरह बांट दी
दरअसल नई योजना न लाने के पीछे यहां की जमीनों की बंदरबांट नजर आती है। योजना 53 के लिए जिन जमीनों का प्राधिकरण ने कब्जा लिया था, उसमें से 37 सर्वे नंबरों की 11.51 हेक्टेयर जमीनों की एनओसी जारी कर दी। यह सब योजना खत्म होने के बाद हुआ। एनओसी देने में उस समय के अफसरों के भ्रष्टाचार को लेकर विधायक महेंद्र हार्डिया ने भी शिकायत की और अन्य लोगों ने भी। इसमें इन सभी जमीनों की जांच करने, एनओसी देने वाले अफसरों के नाम उजागर करने की मांग की गई, लेकिन आईडीए ने शिकायतों को दबा दिया।
तीन साल पहले एक और संकल्प

नई योजना लागू न करने और जमीनों की एनओसी देने पर अधिकारियों की मंशा पर सवाल खड़े होने लगे। इनके खिलाफ जांच तक चलने की बात उठी। इसके बाद 2016 में इन अधिकारियों ने तत्कालीन चेयरमैन शंकर लालवानी को विश्वास में लेकर एक और संकल्प पास करवा लिया, जिसमें लिखा कि योजना 53 का त्याग सुविधा गृह निर्माण एवं कालिंदी गृह निर्माण संस्था के साथ अन्य कब्जा प्राप्त भूमियों को छोड़ कर किया गया है, जबकि हाईकोर्ट का स्पष्ट आदेश था कि संपूर्ण योजना खत्म हो चुकी है और अब इसके स्थान पर नई योजना लाना होगी।
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