scriptफर्जी सिम से निकाले 91 लाख, ट्रिब्यूनल दिलवा रहा न्याय | If the bank or mobile company is negligent then you can claim | Patrika News

फर्जी सिम से निकाले 91 लाख, ट्रिब्यूनल दिलवा रहा न्याय

locationइंदौरPublished: Oct 23, 2021 04:37:22 pm

बैंक अथवा मोबाइल कंपनी लापरवाही करें तो कर सकते है दावा

फर्जी सिम से निकाले 91 लाख, ट्रिब्यूनल दिलवा रहा न्याय

फर्जी सिम से निकाले 91 लाख, ट्रिब्यूनल दिलवा रहा न्याय

प्रमोद मिश्रा

इंदौर. ऑनलाइन और साइबर फ्रॉड से जुड़े 5-6 केस रोज पहुंच रहे हैं, जिनमें लाखों की ठगी हो रही है। ऐसे में साइबर अपील अधिकरण आशा की किरण बनकर सामने आया है। खरगोन की एक फर्म से डुप्लीकेट सिम और बैंक द्वारा निजता के हनन से 91 लाख ऑनलाइन फ्रॉड हुआ। इस केस में अधिकरण ने 40 लाख का ब्याज माफ कर 2 लाख मुआवजा देने के आदेश बैंक और मोबाइल सिम कंपनी को दिए हैं।
खरगोन की शोरूम फर्म का राष्ट्रीयकृत बैंक में ओडी अकाउंट था। अकाउंट से प्रमुख गजानंद गोयल का मोबाइल नंबर लिंक था। मोबाइल नंबर अचानक बंद हुआ, दो दिन बाद मोबाइल कंपनी से संपर्क करने पर पता चला कि डुप्लीकेट सिम जारी की गई है। बैंक अकाउंट मोबाइल से लिंक था, जिससे 91 लाख रुपए ऑनलाइन ठगी हो गई। खाता सीज कराया, इसके पूर्व 40 लाख रुपए थाणे (मुंबई) की बैंक शाखा में ट्रांसफर हो गए थे। 51 लाख स्थानीय बैंक में थे, जो तुरंत खाते में आ गए जबकि 40 लाख रुपए तो बैंक ने सीज कर दिए लेकिन कोर्ट के आदेश के बिना वापस नहीं किए गए।
लापरवाही: मोबाइल कंपनी ने जांच नहीं की, बैंक ने निजता कायम नहीं रखी
फर्म के 40 लाख रुपए दूसरे अकाउंट में फंसे होने से उनका ब्याज बढ़ गया। कंपनी ने अधिकरण में दावा लगाया। आरोप था कि मोबाइल कंपनी ने फर्जी दस्तावेज से डुप्लीकेट सिम जारी की। दस्तावेजों की जांच में लापरवाही की। बैंक से फरियादी के बैंक की डिटेल, मोबाइल नंबर आदि निजी जानकारी लीक हुई। बैंक निजता कायम रखने के नियम का पालन नहीं कर पाया। अधिकरण ने फर्म के पक्ष में फैसला सुनाया। 40 लाख का ब्याज माफ करने के साथ बैंक और मोबाइल कंपनी को क्रमश: 90 हजार व 1.10 लाख रुपए मुआवजा देने के आदेश दिए।
इंदौर की फूड कंपनी को मिल चुके हैं 1.91 करोड़

कनाडिय़ा रोड की फूड कंपनी से करीब 1 करोड़ 91 लाख की धोखाधड़ी हुई। 87 लाख रुपए तो मिल गए, लेकिन 1 करोड़ 03 लाख 44 हजार रुपए नहीं मिल पाए। डुप्लीकेट सिम से ऑनलाइन बैंकिंग से राशि ट्रांसफर की थी। मोबाइल सिम कंपनी और बैंक पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए अधिकरण में दावा किया। वहां से 1.3189 करोड़ रुपए की ब्याज व कोर्ट फीस सहित मुआवजा देने का आदेश जारी हुआ।
छह महीने में निराकरण का प्रावधान

साइबर लॉ एक्सपर्ट यशदीप चतुर्वेदी के मुताबिक, किसी फर्म या व्यक्ति को बैंक अथवा मोबाइल कंपनी की लापरवाही से वित्तीय नुकसान हुआ है तो वह आइटी एक्ट की धारा 43 व 43 ए के तहत दावा कर सकते हैं। अधिकरण, भोपाल में छह महीने में सुनवाई कर मामले का निराकरण कर मुआवजा दिलाता है।
फ्रॉड की राशि मिल सकती है, 24 घंटे में करें शिकायत

– क्राइम ब्रांच की साइबर हेल्पलाइन और साइबर सेल में ऑनलाइन फ्रॉड और साइबर अपराध के हर दिन 5-6 केस पहुंचते हैं। लाखों का फ्रॉड होता है। जांच में देरी से अधिकतर मामलों में लोगों को राशि नहीं मिल पाती है।
– एक महिला से छह महीने में पौने तीन लाख का फ्रॉड हुआ। क्राइम ब्रांच ने छह महीने में जांच पूरी कर तिलकनगर थाने में केस दर्ज कराया लेकिन न आरोपी का पता है और न राशि वापस मिलने का रास्ता दिख रहा है।
– वारदात या फ्रॉड के 24 घंटे में हेल्पलाइन नंबर 155260 पर कॉल करने पर राशि मिलने की संभावना रहती है लेकिन लोगों को जानकारी नहीं होने से परेशानी होती है।

बॉक्स आइटम
एफआइआर नहीं होने पर भी कर सकते हैं दावा

एनसीआरबी रिपोर्ट बताती है,देश में कुछ वर्षों में साइबर फ्रॉड 85 प्रतिशत तक बढ़ गया है। हर वर्ग का व्यक्ति परेशान है, करोड़ों का नुकसान हुआ है। अगर किसी व्यक्ति के साथ ऑनलाइन फ्रॉड हो जाए, बैंक या मोबाइल कंपनी की लापवाही नजर आए तो आइटी ट्रिब्यूनल (सूचना प्रौद्योगिकी अधिकरण), प्रिंसिपल आइटी सेके्रटरी के समक्ष दावा कर सकते हंै। अभिकरण से छह महीने में फैसला होता है। लापरवाही मिलने पर 5 करोड़ तक की राशि मुआवजे में मिल सकती है। ऐसे मामले जिसमें पुलिस ने एफआइआर नहीं लिखी लेकिन फ्रॉड के दस्तावेज हैं। बैंक या मोबाइल कंपनी ने ग्राहक की निजता बनाए रखने में लापरवाही की, उसमें दावा किया जा सकता है।
यहां करें दावा पेश

प्रदेश में आइटी ट्रिब्यूनल, प्रिंसिपल आइटी सेके्रटरी के समक्ष आइटी एक्ट की धारा 43 व 43 ए के मामलों में 46 आइटी एक्ट के तहत वित्तीय मुआवजा हासिल करने का दावा भोपाल में अधिकरण लगाया जा सकता है। इसे न्याय निर्णायक अधिकरण भी कहा जाता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो