scriptजानिये आइआइएम इंदौर के डायरेक्टर प्रो हिमांशु राय ने इंदौर के ट्रैफिक को लेकर क्या दी सलाह | IIM Indore director advised regarding traffic in Indore | Patrika News

जानिये आइआइएम इंदौर के डायरेक्टर प्रो हिमांशु राय ने इंदौर के ट्रैफिक को लेकर क्या दी सलाह

locationइंदौरPublished: Nov 04, 2019 06:55:05 pm

Submitted by:

jay dwivedi

दुर्घटनाओं से सबक लें और कानून को मानें

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इंदौर के ट्रैफिक सिस्टम को सुधारने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस देने की प्रक्रिया में बदलाव जरूरी है। ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन कराना होगा। ट्रैफिक विषय को विद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल करें। यातायात संबंधी मामलों के निराकरण के लिए अलग कोर्ट बनाई जाए। इसके लिए सेवानिवृत्त जजों की सेवाएं ली जा सकती है।
देश में यदि यातायात दुर्घटनाओं के आंकड़ों को देखें तो वे भयावह हैं। भारत में प्रति मिनट यातायात संबंधित एक दुर्घटना होती है और हर तीन से चार मिनट के बीच एक मृत्यु। एेसी स्थिति के बीच हमें यातायात के विषय को बहुत गम्भीरता से लेना चाहिए। यह गंभीरता सरकार और नागरिक दोनों स्तर पर होगी तभी इसमें सुधार आएगा।
इंदौर शहर की स्थिति आपके सामने है। बढ़ती आबादी और सड़कों पर अतिक्रमण के कारण स्थान कम होता जा रहा है, जबकि वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सबसे पहली जरूरत यह है कि हम इसके निस्तारण के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाएं। आइआइएम, इंदौर ने शहर के ट्रैफिक का विस्तृत अध्ययन कर एक रिपोर्ट सरकार को भेजी है। उसके अतिरिक्त और भी पहलुओं पर ध्यान देना होगा।
ड्राइविंग लाइसेंस देने की प्रक्रिया बहुत ही लचर है। इसके इम्तिहानों को कड़ाई से लागू करना होगा। ड्राइविंग का इम्तिहान आयु को देखते हुए हर पांच अथवा कम वर्षों में होते रहना चाहिए। यदि कोई यातायात के नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर ग्रेडेड पेनल्टी लगाई जाए। तीन बार से अधिक उल्लंघन करने पर ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित कर दिया जाए। नए ट्रैफिक अधिनियमों को लागू कर सख्ती से उनका पालन करना चाहिए। ट्रैफिक विषय को विद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल करें और सीनियर सिटीजन्स के सहयोग से विद्यालयों में जानकारी दें। यातायात सम्बन्धी मामलों के जल्दी निराकरण के लिए अलग कोर्ट बनाई जाए। इसके लिए सेवानिवृत्त जजों की सेवाएं ली जा सकती है।
कुछ लोग हेलमेट इसलिए नहीं पहनते हैं क्योंकि इससे बाल खराब हो जाते हैं। औद्योगिक संस्थानों को शोध करके ऐसा हेलमेट बनाना चाहिए जिसे पहनने में सहूलियत हो। यहां नवाचार की जरूरत है।
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