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इंदौर

‘हिन्दी और संस्कृत में छिपा है हमारी संस्कृति का सार’

Indore News : आइआइएम इंदौर में हिन्दी पखवाड़े में भाषा के भविष्य पर हुई बात

इंदौरSep 17, 2019 / 05:36 pm

राजेश मिश्रा

‘हिन्दी और संस्कृत में छिपा है भारत की संस्कृति का सार’

‘हिन्दी और संस्कृत में छिपा है भारत की संस्कृति का सार’

इंदौर. आइआइएम इंदौर में हिन्दी पखवाड़ा मनाया गया। इसमें क्विज, अंताक्षरी, टिप्पणी, निबंध लेखन और तात्कालिक भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। मुख्य अतिथि अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने कहा, उन्होंने आइएएस की तैयारी के दौरान न केवल हिन्दी को एक विषय के रूप में चुना, बल्कि हिन्दी माध्यम में परीक्षा भी दी। उन्होंने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि आमतौर पर लोग मानते हैं कि भाषा का एक महत्वपूर्ण मूल्य होता है, लेकिन जिस तरह की संस्कृति और परंपरा में हम रहे हैं, हमें पता होना चाहिए कि भाषा सिर्फ एक संसाधन नहीं है, बल्कि साधना है। हमें इसकी गहराई को समझकर भाषा के साथ अंतरंगता विकसित करने की आवश्यकता है। हमें आज भारत में अंग्रेजी की भूमिका को समझने की जरूरत है। हर दूसरा देश अपनी मातृभाषा के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए नियम बना रहा है। हमें भारत में भी इसे लागू करना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद यूपी पीसीएल के पूर्व प्रबंध निदेशक एपी मिश्रा ने कहा, इंदौर एक ऐसा शहर है जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के लोग विभिन्न भाषाएं बोलते हैं। यह इस शहर को बहुभाषी बनाता है। शहर में अधिकतम लोग हिन्दी जानते हैं और हिन्दी का उपयोग संचार भाषा के रूप में करते हैं। चीन और रूस जैसे कुछ देशों ने अपने नागरिकों के लिए अपनी भाषा में बोलने के लिए अनिवार्य कर दिया है। मिश्रा ने कहा, हिन्दी एक ऐसी भाषा है जिसमें भावनाएं हैं और कोई भी भावना इस भाषा में आसानी से व्यक्त कर सकता है।
हिन्दी और संस्कृत कभी नहीं होगी लुप्त
आइआइएम के निदेशक प्रोफेसर हिमांशु राय ने कहा कि हम देश और राष्ट्र के बीच अंतर करने में असमर्थ हैं। हमें स्वतंत्रता पर देश तो मिला, लेकिन हमें उस राष्ट्र को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है जो संस्कृति पर बना है। हिन्दी और संस्कृत ऐसी भाषाएं हैं जिनमें हमारी संस्कृति का सार है। जो लोग मानते हैं कि ये दो भाषाएं भी लुप्त हो जाएंगी, उन्हें यह जानना आवश्यक है कि ये दुनिया की दो सबसे आसान भाषाएं हैं- जिस तरह से लिखी गई हैं उसी तरह से बोली जाती हैं और इसलिए वे कभी भी लुप्त नहीं होंगी।

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