शहर में कचरा गाडिय़ों के चलने क बाद कचरे से जुड़ी सभी शिकायतें खत्म हो जाना चाहिए, लेकिन उसके बाद भी लगातार शिकायतें आ रही थी। बीते एक माह में नगर निगम को महापौर हेल्पलाइन-311 से 1910 शिकायतें मिलीं। जिनमें 900 शिकायतें कचरे से जुड़ी हुई मिली थी। लगातार शिकायतें आने के बाद महापौर मालिनी गौड़ सफाई व्यवस्था को लेकर नाराज हुई थी। उन्होने इसके बाद स्वास्थ्य समिति प्रभारी संतोष गौर को शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर दौरे कर जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी दी थी। गौर ने जो रिपोर्ट दी थी। उसमें तीन तथ्य सामने आए थे। जिसमें जेल रोड और सपना संगीता सड़क पर लीटरबीन को कचरा पेटी की तरह इस्तेमाल करना, शहर में सही तरीके से झाडू नहीं लगने के साथ ही शहर के कई इलाकों में गाडिय़ां नहीं पहुंचने को उन्होने सही माना था। जिसके बाद महापौर ने बैठक लेकर सभी अफसरों को फटकार लगाई थी।
निगम के लिए फायदे का सौदा है कचरा
शहर में कचरा लेने की व्यवस्था नगर निगम के लिए फायदे का सौदा है। शहर में लगभग 5 लाख घर हैं। जिनसे नगर निगम 100 रुपए प्रत्येक घर के हिसाब से कचरा शुल्क लेता है तो उससे निगम को लगभग ५ करोड़ रुपए माह की आय होती है। जबकि निगम को कचरा घर-घर से उठाने से लेकर ट्रेचिंग ग्राउंड तक ले जाने पर लगभग 2.२५ से 2.५० करोड़ रुपए का डीजल प्रतिमाह लगता है। जिसमें से बड़ा खर्चा जो कि लगभग 1.80 करोड़ रुपए डीजल घर-घर से कचरा लेने में लगता है। निगम को इसके अलावा लगभग ९० लाख रुपए ड्रायवर और कंडक्टर की तन्खवाह का खर्चा लगता है। इसके बाद भी निगम को प्रतिमाह 1 करोड़ रुपए का फायदा इससे होता है। इसी तरह से बल्क में कचरा उठाने पर नगर निगम को लगभग १.२५ करोड़ रुपए की आय होती है। इस काम के लिए निगम ने 70 गाडिय़ां लगा रखी हैं, जिनका मासिक खर्चा लगभग ६३ लाख रुपए हैं। इसमें भी निगम को सीधे 62 लाख रुपए तक की आय हो रही है। इसके अलावा नगर निगम को स्वच्छता उपकर के रूप में शहर से लगभग 3 करोड़ से ज्यादा की आय प्रतिमाह होती है। लेकिन नगर निगम द्वारा इस वसूली के लिए कोई सिस्टम खड़ा नहीं किया है, जिसके कारण पूरा पैसा इकट्ठा नहीं कर पा रहा है।
– मालिनी गौड़, महापौर