यह जानकारी सीए पंकज शाह ने दी। वे बुधवार को मानस भवन में आयकर एवं ऑडिट विषय पर आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। कार्यशाला में बैलेंस शीट, ऑडिट रिपोर्ट के नए प्रारूप और आयकर के नोटिस पर चर्चा की गई।
उन्होंने बताया, 2013 व 2014 के नोटिस कालबाधित (टाइम बार्ड) हैं, क्योंकि इन्हें मार्च 2021 तक जारी करना था। लेकिन, आयकर विभाग ने सर्कुलर जारी कर यह तारीख बढ़ा दी। कई उच्च न्यायालय ने इस सर्कुलर को असंवैधानिक घोषित किया है, इसलिए इन वर्षों के नोटिस के विरुद्ध तुरंत ऑब्जेक्शन दायर करना चाहिए। साथ ही 2015 से 2017 के नोटिस तभी जारी किए जा सकते हैं, जब कर अपवंचन 50 लाख या उससे अधिक की संपत्ति के रूप में हो।
50 लाख से कम के केस में नए प्रावधानों के अनुसार नोटिस जारी नहीं हो सकते। सीए शाह ने बताया, नोटिस का वर्ष और नोटिस प्राप्ति की तारीख देख लें कि वह टाइम बार्ड तो नहीं है। नोटिस जारी करने के पहले चीफ कमिश्नर की अनुमति ली गई है या नहीं। कर अपवंचन 50 लाख से अधिक संपत्ति के रूप में है या नहीं। नोटिस के तथ्यों में कोई त्रुटी तो नहीं है। नोटिस के जवाब में विभाग की इन्क्वायरी और नोटिस जारी करने का आधार मांगे। नोटिस प्राप्त होने के दो सप्ताह में जवाब फाइल करें। आयकर नोटिस का जवाब समय से न देने पर टैक्स के साथ पैनल्टी भी लग सकती है।
बैलेंस शीट, ऑडिट रिपोर्ट में बदलाव
बैलेंस शीट के प्रारूप को लेकर सीए विपुल पाडलिया ने बताया, इस वर्ष प्रारुप में 55 मुख्य बदलाव हुए हैं। इनसे बैंक एवं अन्य लोगों को बेहतर फाइनेंशियल जानकारी मिल सकेगी। बैलेंस शीट में अब छोटे व मध्यम उद्योग के बकाया को अलग से दिखाया जाएगा और अगर कोई विवाद है तो उसका भी उल्लेख करना पड़ेगा। लेनदारों से कितनी पुरानी राशि लेनी बाकी है, उसकी भी जानकारी वर्षानुसार देनी पड़ेगी। अगर कोई लीगल केस या प्रकरण लंबित है तो उसे भी अब बैलेंस शीट के नोट्स में दर्शाना पड़ेगा। कार्यशाला में सीए संजय सोडानी, नरेन्द्र भंडारी, विजेश खंडेलवाल, सुनील माहेश्वरी, जगदीश बाहेती आदि मौजूद थे।