script4 साल पहले सेवानिवृत्त अफसर फैसला रख कर बताना भूल गए, आयकर ट्रिब्यूनल ने देरी से स्वीकारी अपील | income tax tribunal grant apeal after 4 year | Patrika News

4 साल पहले सेवानिवृत्त अफसर फैसला रख कर बताना भूल गए, आयकर ट्रिब्यूनल ने देरी से स्वीकारी अपील

locationइंदौरPublished: Aug 19, 2022 01:50:08 pm

अकाउंटेंट के सेवा निवृत होने की दलील मंजूर कीफैसला आगे भी कई मामलों में बन सकेगा नजीर

4 साल पहले सेवानिवृत्त अफसर फैसला रख कर बताना भूल गए, आयकर ट्रिब्यूनल ने देरी से स्वीकारी अपील

4 साल पहले सेवानिवृत्त अफसर फैसला रख कर बताना भूल गए, आयकर ट्रिब्यूनल ने देरी से स्वीकारी अपील

इंदौर। income tax कई बार मानवीय भूल भी देरी का कारण हो सकती है। ऐसे में प्राकृतिक न्याय का सिध्दांत सर्वेपरि होता है। आयकर टि्रब्यूनल इंदौर ने भोपाल दुग्ध संघ के मामले में दिए एक अहम फैसले में चार साल देरी से की गई अपील को स्वीकार कर लिया। मामले में टि्रब्यूनल के समक्ष तर्क दिया गया, फैसला जिस एकाउंटेंट को मिला था, उनके सेवानिवृत होने से मामला संज्ञान में नहीं आ सका।
जानकारी के अनुसार भोपाल दुग्ध संघ के एक मामले में आयकर विभाग ने 98 लाख रुपए एडीशन कर दिए थे। मामला फरवरी 2016 का था। आयकर के प्रकरणों में सामान्यतः किसी भी आर्डर के खिलाफ दो माह में अपील की जा सकती है। परंतु संघ से इस मामले में अपील फाइल करने में 4 वर्षो का विलंब हो गया। आखिरकार माफी आवेदन के साथ अपील प्रस्तुत की गई। कोर्ट ने सहानुभूति से विचार कर संघ की गलती को माफ करते हुए अपील स्वीकार ली।
प्रकरण प्रस्तुत करने के साथ विलंब के लिए यह दलील दी गई, तत्कालीन एकाउंटेंट को आर्डर मिला था। लेकिन सेवानिवृत होने की वजह से संस्था के संज्ञान में नहीं आ पाया। जिससे अपील समय पर नहीं की जा सकी। टि्रब्यूनल की बीएम बियानी एवं महावीर प्रसाद की डिविजन बेंच ने विलंब के कारण को समझते हुए अपील को वैध माना। सीए पंकज शाह ने बताया, बेंच ने कहा, तकनीकी या परिहार्य कारणों से अपील खारिज नहीं होना चाहिए। यह फैसला विलंब प्रकरणों में रिफरंस बनेगा। प्राकृतिक न्याय के सिध्दांत को मजबूत करेगा। सामान्य तौर पर कई मामलों में जानकारी के अभाव में या इस तरह के अपरिहार्य कारणों से देरी होती है। जिन्हें कोर्ट स्वीकार करें तो लोगों को राहत मिल सकती है।
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