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कोर्ट के आदेश पर भी तेज नहीं हुआ केशरबाग ब्रिज का काम, आईडीए कर रहा मनमानी

locationइंदौरPublished: Feb 15, 2018 06:26:05 pm

केशरबाग ब्रिज के मामले में आईडीए सीईओ और चीफ इंजीनियर को पेशी के आदेश

KesharBag Bridge
इंदौर. केशरबाग ब्रिज के मामले में आईडीए की लापरवाही लगातार बढ़ती ही जा रही है। हद तो यह है कि कोर्ट के निर्देश के बावजूद आईडीए न तो इसके काम को तेज कर रहा है न ही कोर्ट द्वारा मांगी जा रही रिपोर्ट पेश कर रहा है। धीमी गति से बन रहे ब्रिज की वजह से आस पास के रहवासी परेशान हैं और लगातार कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। गुरुवार को भी कोर्ट आईडीए के रवैये पर भड़का और सीईओ समेत चीफ इंजीनियर को पेश होने के आदेश दिए।
क्या है मामला
शहर के प्रमुख इलाके में बन रहे केशरबाग ब्रिज को लेकर जहां पहले लोगों में उत्साह था वह अब गुस्से में बदलता जा रहा है। कारण है आईडीए का ढीला रवैया। आईडीए जिस धीमी गति से ब्रिज का निर्माण कर रहा है उसकी वजह से आस पास के क्षेत्र में लोगों की परेशानियां बढ़ती ही जा रही हैं। ब्रिज के अधूरे पड़े काम की वजह से कभी आस पास के इलाकों में ड्रेनेज का पानी भर जाता है तो कभी नर्मदा पाइप लाइन ही फूट जाती है। वहीं अधूरे बड़े ब्रिज के मलबे की वजह से आस पास की सड़कों से गुजरने वाले लोग लागातार हादसे का शिकार हो रहे हैं। इन्हीं समस्याओं को लेकर रहवासी अब कोर्ट में पहुंचे हैं लेकिन यहां पर भी आईडीए के अधिकारी अपनी लापरवाही से बाज नहीं आ रहे हैं। कोर्ट के लगातार सख्त रुख के बाद भी आईडीए ब्रिज से जुड़े जरूरी दस्तावेज पेश नहीं कर रहा है न ही ब्रिज के निर्माण कार्य में तेजी ला रहा है।
कोर्ट आईडीए सीईओ को बुलाया
गुरुवार को हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान रहवासियों द्वारा कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर पैरवी हुई। याचिका पर पैरवी करते हुए विनय झेलावत ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश देने के बाद भी कई काम अधूरे पड़े हैं। इस पर कोर्ट ने केशरबाग ब्रिज के बचे हुए कामों की सूची बनाकर अगली सुनवाई पर आईडीए सीईओ और चीफ इन्जीनियर को कोर्ट में हाजिऱ रहने के आदेश दिए। दरअसल कोर्ट ने 4 महीने पहले अधूरे कामों को पूरा करने का आदेश दिया था फिर भी ब्रिज के कई काम अधूरे पड़े हैं।
रेलवे की ड्राइंग पर भी हुई बहस
ब्रिज के पास में रेलवे का भी कुछ हिस्सा है। इस हिस्से को लेकर भी विवाद चल रहा है। इससे पहले कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान रेलवे वाले हिस्से में अनापत्ति नहीं मिलने की बात कही गई थी जबकि रेलवे का कहना था कि उसे इस मामले में कोई आवेदन प्राप्त ही नहीं हुआ। गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान रेलवे वाले क्षेत्र की ड्राइंग के मसले पर भी बहस हुई। हालांकि इस मामले में कोर्ट ने क्या कहा इसकी ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी।

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